राजस्थान में पटवारी के 3705 पदों पर भर्ती के लिए लिखित परीक्षा रविवार को 38 जिलों के 1035 केंद्रों पर हुई. इस परीक्षा में 6 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी शामिल हुए, जबकि हजारों अभ्यर्थी अलग-अलग कारणों से परीक्षा देने ही नहीं पहुंचे.

इस भर्ती के लिए तमाम ऐसे अभ्यर्थियों ने भी परीक्षा दी है, जो उच्च शिक्षित हैं. उनके पास बड़ी-बड़ी डिग्रियां हैं. किसी ने पीएचडी कर रखी है तो कोई प्रशासनिक पदों पर होने वाली भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुआ है.

चार ऐसे ही अभ्यर्थियों की केस स्टडी, जिन्होंने राजस्थान की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित भर्ती RAS यानी राजस्थान एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस की परीक्षाओं में शामिल हो चुके हैं. उनकी कोशिश राज्य के सबसे बड़े प्रशासनिक पद पर नियुक्ति पाने की थी, लेकिन इन्होंने कम महत्वपूर्ण समझे जाने वाली पटवारी की भर्ती परीक्षा में शामिल होने का फैसला लिया था.

इनका कहना है कि इनका सपना तो प्रशासनिक अधिकारी बनने का था. इन्होंने उसी हिसाब से तैयारी भी की हुई थी लेकिन वहां कामयाबी नहीं मिलने पर अब एक अदद सरकारी नौकरी पाने की चाहत में पटवारी बनना चाहते हैं. इन्हें उम्मीद है कि प्रशासनिक भर्ती परीक्षा RAS को लेकर उन्होंने जो तैयारी की थी उसका फायदा इन्हें पटवारी भर्ती परीक्षा में मिल सकता है.

केस स्टडी 1 : प्रिया शर्मा

राजस्थान की रहने वाली प्रिया शर्मा आज उन हजारों युवाओं की प्रतिनिधि बनकर उभर रही हैं, जो वर्षों की मेहनत के बावजूद बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं. पढ़ाई में मेधावी प्रिया ने वर्षों तक मेहनत कर रीट (राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा) की तैयारी की थी. जब परीक्षा का परिणाम आया, तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा प्रिया का नाम दो गुना सूची में आ गया था, जो कि साक्षात्कार और नियुक्ति की ओर एक बड़ा कदम माना जाता है.

लेकिन यह खुशी अधिक समय तक नहीं टिक सकी. जल्द ही पेपर लीक की खबरों ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया. परीक्षा रद्द कर दी गई, और उसके साथ ही प्रिया के सपनों पर भी पानी फिर गया. प्रिया बताती हैं, "मैंने दिन-रात मेहनत की थी, परिवार की उम्मीदें थीं, लेकिन सिस्टम की लापरवाही की वजह से सब कुछ खत्म हो गया."

सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए प्रिया ने कहा कि राज्य सरकार को केवल चतुर्थ श्रेणी (ग्रेड 4) के कर्मचारी चाहिए, क्योंकि पिछले कुछ समय से केवल इसी श्रेणी की भर्तियां निकाली जा रही हैं. "योग्य, शिक्षित युवाओं के लिए ना तो अवसर हैं, ना ही पारदर्शी प्रक्रिया," वह निराशा भरे स्वर में कहती हैं.

अब हालात ऐसे हैं कि प्रिया को अपने सपनों को सीमित करते हुए राज्य सेवा (RS) की पढ़ाई छोड़नी पड़ी है, जो कभी उनका बड़ा लक्ष्य हुआ करता था. आज वह केवल सरकारी नौकरी पाने की उम्मीद में पटवारी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं. उनका कहना है, "अब लक्ष्य सिर्फ एक है किसी भी तरह से नौकरी मिल जाए, ताकि घर की जिम्मेदारियों में हाथ बंटा सकूं और अपने आत्मसम्मान को बचा सकें."

प्रिया की कहानी अकेली नहीं है. यह आज के उस युवा भारत की तस्वीर है, जो शिक्षा पाने के बाद भी स्थायित्व और सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है. पेपर लीक, भ्रष्टाचार, और बेरोजगारी ने जिस तरह से नौजवानों के भविष्य को प्रभावित किया है, वह न केवल चिंताजनक है, बल्कि नीति-निर्माताओं के लिए भी एक गंभीर चेतावनी है.

केस स्टडी 2 : प्रमिला सिंघवी

राजस्थान की रहने वाली प्रमिला सिंघवी, जो कि पैरों से विकलांग हैं, ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपनी शिक्षा और करियर को लेकर कभी हार नहीं मानी. पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ एक मां के कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए उन्होंने RAS और अन्य उच्च स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लिया.

हालांकि, किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई. अब प्रमिला ने निर्णय लिया है कि वे छोटे पदों की परीक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करेंगी, जिसमें सफलता की संभावना अधिक है. इसी क्रम में वे अब पटवारी परीक्षा में शामिल हो रही हैं.

प्रमिला का कहना है, "मैंने अब तक कई परीक्षाएं दी हैं. इतने अनुभव के बाद मुझे विश्वास है कि मैं छोटे पद की परीक्षा को आसानी से उत्तीर्ण कर सकती हूं. अब मेरा लक्ष्य है किसी भी पद पर चयनित होकर समाज की सेवा करना." प्रमिला का यह संघर्ष और संकल्प न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो कठिनाइयों के सामने हार मान लेते हैं.

केस स्टडी 3 : भैरो सिंह

फौज की सेवा के बाद भी राजस्थान सरकार में नौकरी की उम्मीद रखते हैं भीम (राज.) निवासी भेरू सिंह. RAS की तैयारी के बाद अब छोटी नौकरियों पर भी ध्यान. RAS की परीक्षा में कामयाबी नहीं मिले तो इन्होंने नौकरी पाने के लिए पटवारी पद पर भर्ती होने के लिए आवेदन किया. इनका कहना है कि आज के वक्त में सरकारी नौकरी बेहद जरूरी है. वह छोटी है या बड़ी, यह मायने नहीं रखता.

केस स्टडी 4 : गरिमा

राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की परीक्षा में महज 10 अंकों से चूकने के बावजूद, गरिमा ने अपने सपनों को नहीं छोड़ा. अब वह पूरी लगन और आत्मविश्वास के साथ पटवारी भर्ती परीक्षा में भाग ले रही है. भीम, जिला राजसमंद (राजस्थान) की निवासी गरिमा का लक्ष्य है एक सम्मानित सरकारी नौकरी प्राप्त कर समाज और परिवार का नाम रोशन करना.