Kota PWD XEN Office Locked: कोर्ट के आदेश की पालना नहीं करने पर पीडब्लूडी विभाग को भारी पड़ गया. कोर्ट के आदेश पर एक्सईएन के ऑफिस में ताला लगा दिया साथ ही सेल अमीन ने पीडब्ल्यूडी अधिशासी अभियंता कार्यालय पर नोटिस चस्पा कर दिया. ठेकेदार पर समय पर कार्य नहीं करने का आरोप लगाते हुए ठेकेदार पर 2 लाख 22 हजार रूप की पेनल्टी लगाई थी, जिसकी एवज में ठेकेदार कोर्ट चला गया. कोर्ट से फैसला आने में 29 साल लग गए.


सेल अमीन सरविंदर कौर ने बताया कि अतिरिक्त मुख्य न्यायाधीश क्रम-3 ने पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिशासी अभियंता कार्यालय नगर खंड की चल संपत्ति का कुर्की वारंट जारी किया था. वारंट की तामील के लिए कोर्ट की सेल आमीन पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिशासी अभियंता कार्यालय पहुंची, जहां अधिशासी अभियंता के नहीं मिलने पर कार्यालय में ताला जड़ दिया. वहीं नोटिस को बाहर दरवाजे पर चस्पा कर दिया. 


अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होनी है
इसके बाद वह वहां से चले गए और पूरी रिपोर्ट बनाकर कोर्ट में न्यायाधीश के समक्ष पेश कर दी. ऑफिस के सीज की कार्रवाई से ऑफिस में हड़कंप मच गया और भीड़ जमा हो गई. उसके बाद अधिकारी कोर्ट पहुंचे और मोहलत मांगी, उसके बाद कोर्ट के आदेश पर कमरे को खोला गया. अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होनी है.


1994 में लिया था ठेका, स्टे के चलते बंद हो गया था काम 
यह पूरा मामला करीब 29 साल पुराना है, जिसमें ठेकेदार परमानंद की फर्म ने 1994 में मेडिकल कॉलेज के मेन रोड निर्माण का ठेका 22 लाख रुपए में लिया था. ठेकेदार द्वारा काम शुरू किया गया, लेकिन इस जमीन पर किसी ने स्टे लेकर काम बंद करवा दिया. अधिकारी भी मजबूर हो गए और स्टे हटने तक काम बंद करवा दिया. विभाग ने स्टे हटवाने का प्रयास किया लेकिन नहीं हटा, डेढ माह तक सभी उपकरण, मशीन साइड पर ही पड़ी रही. बाद में विभाग ने 10 प्रतिशत पेनल्टी ठोंक दी और पैसे काट लिए. ठेकेदार ने इसके खिलाफ स्टैंडिंग कमेटी में क्लेम लगाया. लेकिन क्लेम व पेनल्टी खारिज कर दिए. उसके बाद पीडब्ल्यूडी विभाग ने 10 प्रतिशत पेनल्टी और लगा दी, जिसके खिलाफ ठेकेदार कोर्ट में चला गया.


कोर्ट ने  3 लाख 75 हजार लौटने के आदेश दिए
कोर्ट ने 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से 3 लाख 75 हजार लौटने के आदेश दिए. लेकिन विभाग ने पैसे नहीं दिए. पीड़ित ठेकेदार फिर से कोर्ट में आदेश पालना का प्रार्थना पत्र पेश किया. जिस पर कोर्ट से कुर्की वारंट जारी हुआ. इस पूरे मामले से परेशान ठेकेदार ने दावा पेश किया जिस पर कोर्ट ने पैसा दिए जाने के आदेश दिए. आदेश की पालना नहीं हो रही थी जिस कारण नोटिस चस्पा किया. उन्होंने मौके पर स्थगन आदेश व रकम नहीं दी फिर कोर्ट के आदेश के पालन में ऑफिस सीज किया.


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