Udaipur News: राजस्थान (Rajasthan) के उदयपुर (Udaipur) के लेकसिटी प्रेस क्लब की ओर से शुक्रवार को ‘मीट द प्रेस’ (Meet The Press) कार्यक्रम की शुरुआत की गई. कई सालों से क्लब द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाता रहा है और कोरोना काल के बाद इसकी फिर से शुरुआत की गई. कार्यक्रम में महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) के वंशज लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ (Lakshyaraj Singh Mewar) को आमंत्रित किया गया. उन्होंने पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए. पर्यटन (Tourism) से लेकर विकास (Development) और राजनीति (Politics) से जुड़े सवालों का उन्होंने बेबाकी से जवाब दिया. मेवाड़ के वीर महाराणा प्रताप पर नेताओं द्वारा दिए जा रहे बयानों के सवाल पर लक्ष्यराज सिंह ने कहा, ''जब प्रताप पर इस प्रकार के बयान सुनने में आते हैं तो दुख होता है. जिन्होंने स्वतंत्रता क्या होती है, उसके लिए अपनी जान न्योछावर की, ऐसे वीर के लिए ऐसे बयान दिए जा रहे हैं.''


लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ राज्यपाल की पर्यटन सलाहकार समिति में सदस्य भी है. पर्यटन को लेकर उन्होंने कहा, ''उदयपुर ने अपना नाम केवल देश, प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में स्थापित किया है. जो हम सबकी कामयाबी को दर्शाता है. जो इस शहर में बसता है, जिनकी जन्मभूमि या कर्मभूमि हो, सभी को इसका श्रेय जाता है. हालांकि, इसे स्थापित करने में कई साल लगे है लेकिन हमें इसे केवल पर्यटन नगरी तक ही सीमित नहीं कर देना चाहिए. इस शहर में और भी कई चीजें हैं जो हम लोगों को दे सकते है.''


लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ राजनीति में एंट्री को लेकर यह बोले


लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को पिछले पांच वर्षों से शहरों और गावों के मुद्दों को लेकर सक्रिय देखा जा रहा है. राजनीति प्रवेश के सवाल पर उन्होंने कहा, ''मैं यह मानता हूं कि जुझाारूपन और कर्मठता से सामाजिक क्षेत्र में काम करना, यह बरसों से चला रहा है. आज की दुनिया जरूर छोटी होती चली जा रही है, इस वजह से शायद यह ज्यादा देखने को मिलती है, ज्यादा सामने आ जाती है. जिन रास्तों में हमारे पूर्वज चले, उन पर चलने का एक प्रयास है. आज की तारीख में कोई भी व्यक्ति जनप्रतिनिधि के रूप में सामने आ सकता है, सभी के लिए वो दरवाजे खुले हैं. मैं यह नहीं कहूंगा कि इस दिशा में कोई सोच नहीं है लेकिन काम करना, सेवा करना निरंतर जारी रहेगा.''


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स्थानीय भाषाओं को लेकर यह कहा


लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने स्थानीय भाषाओं को लेकर कहा, ''आज की तारीख में हम लोग उस संस्कृति की तरफ भाग रहे है, जहां सूरज भी डूबता है. आज हम लोग ही इस पर काम नहीं करेंगे और दूसरों पर उंगलियां उठाएंगे तो काम नहीं होगा.'' उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा, "अंग्रेजी भाषा हमें सीखनी चाहिए, यह अंतरराष्ट्रीय भाषा है जो ज्यादा से ज्यादा बोली जाती है और देश-दुनिया को जोड़ने का काम करती है लेकिन इसके साथ हमें यह भी याद रखना चाहिए कि यह भाषा ए फोर एप्पल से शुरू होती है और जेड फॉर जीरो पर जाकर खत्म होती है जबकि हिन्दी अ से अनपढ़ से शुरू होती है और ज्ञ से ज्ञानी पर जाकर खत्म होती है. अब हमें तय करना है कि हमें हमारी मिट्टी की तरफ, हमारी संस्कृति की तरफ वापस आना है. लोग क्या सोचेंगे इस सोच और पाखण्ड से जब तक हम ऊपर नहीं उठेंगे, हम कुछ नहीं कर पाएंगे.''


शहर के विकास को लेकर यह कहा


महाराणा प्रताप के वंशज लक्ष्यराज सिंह मेवाण ने कहा, ''हमें कहीं न कहीं खुद को दुरुस्त करने की आवयकता है. फेसबुक-व्हॉट्सऐप को चेहरे पर रखकर नहीं सोया जा सकता है, किताब को चेहरे पर रखकर सोया जा सकता है, वो चीज आज की जरूरत है और शिक्षा के लिए काम करना होगा. उदयपुर को पर्यटन के बाद शिक्षा के क्षेत्र में ही मुकाम हासिल करना चाहिए.''


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