Udaipur News: देश में ग्रामीण स्तर पर लोगों के लिए काम करने वाली संस्था के ही ताले लग गए. राजस्थान के उदयपुर संभाग में सरपंच संघ के आह्वान पर विभिन्न मांगों को लेकर बांसवाड़ा और डूंगरपुर की 650 पंचायत भवन बंद रहे, जिससे काफी काम प्रभावित हुआ. वहीं सरपंचों ने जनहित के काम के अलावा अन्य प्रशासनिक कार्यों का अनिश्चितकाल के लिए बहिष्कार कर दिया है. अब राजस्थान के 11 हजार सरपंच मुख्यमंत्री आवास, विधानसभा का 22 मार्च को घेराव करते हुए अनिश्चित काल के लिए धरना देने की रणनीति बनाई है.


डूंगरपुर सरपंच संघ के जिलाध्यक्ष लीलाराम वरहात का कहना है कि जनवरी 2021 में आंदोलनरत सरपंच संघ से लिखित समझौता व वार्ता की गई, लेकिन इस लिखित समझौते को आदेश के रूप में प्रसारित नहीं किया. इससे सरपंचों में निराशा व आक्रोश है. अब सरपंच संघ ने 13 सूत्रीय मांगों को लेकर अपनी आवाज को तेज कर दिया है. ग्राम पंचायत के सारे कार्य ऑनलाइन प्रक्रिया से हो रहे हैं, लेकिन ग्राम पंचायतों में संसाधन नहीं है. सरपंचों को प्रशिक्षण दिलाने की मांग की है.


यह कहना है सरपंच संघ का
सरपंच संघ का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के सर्जन के लिए प्रथम राज्य वित्त आयोग से पंचम राज्य वित्त आयोग तक सकल राजस्व का देय अनुदान प्रतिशत बढ़ते हुए क्रम में स्वीकृत किया जाता रहा है, लेकिन 30 साल में पहली बार छठे राज्य वित्त आयोग में पांचवें राज्य वित्त आयोग के सकल राजस्व के 7.18 प्रतिशत अनुदान की तुलना में 6.75 प्रतिशत अनुदान देने की सिफारिश की गई. इससे पंचायती राज संस्थाओं को लगभग 200 करोड़ रुपए का वार्षिक नुकसान हो रहा है.


इसकी पुनसंमीक्षा करते हुए अनुदान प्रतिशत को बढ़ा कर सकल राजस्व का 10 प्रतिशत किया जाए. ग्राम पंचायतों के विकास की राज्य वित्त आयोग एवं 15वें वित्त आयोग की वर्ष 2021- 22 की शेष राशि ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित की जाए. मनरेगा योजना स्वच्छ भारत मिशन योजना एवं पीएम आवास योजना के प्रशासनिक मद में से ग्राम पंचायतों के हिस्से गरिमा को ठेस पहुंचाते हुए विभिन्न प्रदान किए जा रहे कार्यों, अधिकारों पर पूर्णतया अंकुश लगाया जाए. 


सरपंच पद की ग्राम पंचायतों के विकास की राशि में से मानदेय कमियों जैसे पंचायत प्रशासनिक अधिकारों में कटौती कर सहायक कोविड स्वास्थ्य सहायक, अन्य कर्मचारी, अधिकारियों को सुरक्षा गार्ड एवं पंप चालक के मानदेय के राज्य वित्त आयोग से भुगतान के प्रावधानों को निरस्त कर इनके मानदेय का भुगतान संबंधित विभाग से किए जाने का प्रावधान किया जाए. ग्रामीण क्षेत्र के विकास की राज्य वित्त की राशि में से कटौती नहीं की जाए. 


 यह मांगे भी रखी 
सरपंचों ने बताया कि जल जीवन मिशन योजना का संचालन एवं संधारण बिना संसाधन एवं बजटीय प्रावधानों के ग्राम पंचायतों पर थोपा जा रहा है. इसके लिए जलदाय विभाग को अधिकृत किया जाए. 


सरपंचों का मानदेय बढ़ाकर 15 हजार करने, सरपंच पद का कार्यकाल पूर्ण हो जाने अंतिम मानदेय की 50 प्रतिशत राशि पेंशन के रूप में भुगतान करने का प्रावधान करने, ग्राम पंचायतों के वार्ड पंचों का बैठक भत्ता बढ़ाकर 500 रुपए करने, पंचायत समिति, जिला परिषद सदस्यों को बैठक भत्ता बढ़ाकर 1 हजार रुपए करने, सीमित निविदा से कार्य संपादित करवाने के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा जारी आदेश को पुनः संशोधित करने, ग्रामीण जनता की आवागमन की सुविधा के लिए प्रचलित रास्तों तथा पेयजल सुविधा के लिए टंकी, बोरिंग, टांका हैंडपंप एवं पाइप लाइन का विकास कार्य भूमि स्वामी की सहमति के आधार पर करवाने की अनुमति प्रदान करने की मांग की है.


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