Bharatpur News: भरतपुर जिले का राजकीय संग्रहालय (Bharatpur Government Museum) राजस्थान के पर्यटक स्थलों में से एक है. यह संग्रहालय भरतपुर के लोहागढ़ दुर्ग के अंदर है. इस संग्रहालय में 1931 ई. में भरतपुर रियासत के शासक भरतपुर नरेश सवाई कर्नल बृजेंद्र सिंह ने भरतपुर राज्य में अनेक स्थानों पर पड़ी पत्थर की प्रतिमाओं, कलापूर्ण वास्तुखंडों को स्थानीय पुस्कालय में एक कक्ष में रखवा दिया था जिसके बाद 1944 में इसे नये भवन में स्थानांतरित कर स्वतन्त्र संग्रहालय में बदल दिया गया. 


18वीं सदीं की बंदूकें और तोपों का करना हो दीदार तो जरूर जाएं एक बार






भरतपुर का राजकीय संग्रहालय रियासत काल में भरतपुर रियासत का प्रशासनिक कार्यालय हुआ करता था और दरबार हॉल के नाम से जाना जाता था. इस तीन मंजिला भवन का निर्माण महाराजा बलवन्त सिंह ने 1825 में शुरू कराया था. इस संग्रहालय को चार खण्डों में बांटा गया है. बच्चों की गैलरी, कला खण्ड एवं शिल्प उद्योग, शस्त्रागार, पुरातत्व खण्ड. इस संग्रहालय में प्राचीन सिक्कों, शिला लेखों, प्राचीन मूर्तियों, चित्रों और प्राणी नमूनों का शानदार संग्रह किया गया है. संग्रहालय की पहली मंजिल पर बने अस्त्र-शास्त्र खंड में भरतपुर शासक द्वारा युद्धों में प्रयोग किए हथियार प्रदर्शित किए हैं. यहां छोटे आकार से लेकर तोप जैसे बड़े हथियार देखने को मिलते हैं. इनमें कई प्रकार की तलवार हैं. डालें बंदूक रिवाल्वर वाले आदि प्रेरकों को अपनी और आकर्षित करते हैं. कुछ तलवारों की मूठ पर सोने व चांदी का कलात्मक कार्य किया है.


संग्रहालय में बना हमाम करता है पर्यटकों को आकर्षित




संग्रहालय परिसर में स्थित हमाम आकर्षण का बड़ा केंद्र है. इस हमाम को महाराजा जवाहर सिंह द्वारा बनवाया गया था. मुगल शैली के इस स्नान ग्रह में कई कक्ष बने हुए हैं. भरतपुर के संग्रहालय में शास्त्र खंड में भरतपुर के विभिन्न शासकों द्वारा युद्ध में प्रयोग किये हथियारों को शीशे में बंद करके सार संभाल के साथ रखा गया. यहां रखीं 18वीं सदी की तलवारें, ढाल और छोटी बड़ी बंदूकें तथा तोप के गोले भी पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते हैं. साथ ही महाराजा बलवन्त सिंह द्वारा बनवाया गया खास कमरा जिसमें रियासत काल में प्रशासनिक कार्यालय चलता था आज भी उसे उसी हालत में संभाल कर रखा गया है. यह ख़ास कमरा दरबार हॉल के नाम से भी जाना जाता है.  


केवलादेव नेशनल पार्क को घूमने के बाद संग्रहालय को देखें पर्यटक 




पक्षियों की नगरी के नाम से विख्यात और आगरा और जयपुर के बीच होने के कारण पर्यटक भरतपुर के केवलादेव नेशनल पार्क को देखकर आगरा या जयपुर चले जाते हैं. अगर पर्यटक भरतपुर में रुककर संग्रहालय भी देखेंगे तो बहुत ऐतिहासिक और रियासत कालीन के हथियार भी देख सकेंगे. राजस्थान का पर्यटन विभाग भी पर्यटकों को भरतपुर के केवलादेव नेशनल के बाद भरतपुर के राजकीय संग्रहालय की और आकर्षित करने के लिये प्रयासरत है और इस संग्रहालय को और अच्छा करने के प्रयास किये जा रहे हैं जिससे देश के कोने-कोने से आने वाले पर्यटक इसको देख सकें. भरतपुर का राजकीय संग्रहालय भरतपुर के रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. 


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