Jodhpur News: केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत आज सोमवार को एक दिन के जोधपुर प्रवास पर पहुंचे. एयरपोर्ट पर पार्टी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया. इस दौरान एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए शेखावत ने ईआरसीपी योजना को लेकर राजस्थान व मध्य प्रदेश दोनों राज्यों के बीच समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए जाने पर कहा कि निश्चित तौर से इस परियोजना से 13 राज्य पेयजल को लेकर आत्मनिर्भर बनेंगे साथ ही इस परियोजना के बाद वहां की आर्थिक ढांचा भी बदलेगा.


केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि मैंने चुनावों से पहले भी कहा था कि अशोक गहलोत जी प्यासे कंठो पर राजनीति कर रहे हैं और सूखी हुई धरती व किसानों की अपेक्षाओं पर राजनीति कर रहे हैं. अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को लेकर इस परियोजना को चारे के रूप में काम में लिया जो कि पाप है और इस पाप का दंश इनको निश्चित रूप से भुगतना पड़ेगा. जनता ने उनको उनके पाप की सजा दे दी है. 


केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के समय से इस योजना की परिकल्पना की गई थी कि बांधों को नदियों से जोड़ने की मध्य प्रदेश और राजस्थान दोनों राज्यों में सहमति नहीं बनी. इसलिए इस परियोजना को स्थगित कर दिया गया था. उसके बाद में राजस्थान में वसुंधरा राजे की सरकार आई. राजस्थान में ईआरसीपी की परिकल्पना की गई थी. दोनों राज्यों के बीच सहमति न बन पाई थी.


केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि ERCP परियोजना से 13 जिलों में पेयजल व सिंचाई की संजीवनी है. लेकिन पूर्व की अशोक गहलोत सरकार की हठधर्मिता के कारण यह योजना भी सिरे चढ़ नहीं पाई क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस परियोजना पर राजनीति कर रहे थे. इस मुद्दे को पूर्व सीएम अशोक गहलोत अपनी राजनीतिक गोटी की तरह इस्तेमाल कर रहे थे. हर बार गहलोत जी इस मुद्दे पर राजनीतिक टिप्पणियां करते थे.


केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि इस तरह के हालात को देखकर मैंने एक बार देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से बात की तो उन्होंने कहा कि किसी भी कारण से रोकने की जरूरत नहीं है. उससे आगे बढ़कर समस्या का समाधान होना चाहिए. उन्होंने कहा था कि इससे आगे हमको सोचना चाहिए.


केंद्रीय मंत्री शेखावत बोले हमने देश के बड़े एक्सपर्ट्स के साथ राजस्थान व मध्य प्रदेश दोनों राज्य के इंजीनियरों को लेकर काली, सिंध, पार्वती, चंबल नदी परियोजना व ईआरसीपी दोनों को मिलाकर नदी से जोड़ने की परियोजना जिसे दोनों राज्य को इसका लाभ मिल सके इस पर विचार किया था. चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई थी उस कमेटी में इस प्रोजेक्ट को अप्रूव कर दिया था. इस प्रोजेक्ट को मान्यता प्रदान भी की थी. उस समय हमने अधिकारियों के स्तर पर चर्चा की थी. लेकिन दुर्भाग्य से क्योंकि पूर्व की अशोक गहलोत सरकार इस प्रोजेक्ट को लेकर राजनीति करना चाहती थी, अशोक गहलोत जी अधिकारियों की सहमति बन जाने के बाद भी गहलोत सरकार प्रोजेक्ट को नहीं करना चाहती थी.


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