Rajasthan News: जोधपुर वन विभाग के तरफ से एक अच्छी खबर सामने आई है. जहां हजारों किलोमीटर दूर स्पेन से आए एक गिद्ध को उसके परिवार से मिलवाने के लिए एयरलिफ्ट कर जोधपुर लाया गया है. सिनेरियस प्रजाति का यह गिद्ध कन्याकुमारी में आए साइक्लोन की वजह से साढ़े पांच साल पहले अपने परिवार से बिछड़ गया था. वन विभाग की टीम ने प्लान बनाकर इसे पहले कन्याकुमारी से चेन्नई, उसके बाद वहां से जोधपुर के माचिया सफारी पार्क में पहुंचाया है.


किया जाएगा सर्वे
माचिया सफारी पार्क के वन्य जीव चिकित्सक डॉ ज्ञान प्रकाश ने बताया कि जोधपुर एयरपोर्ट पर गुरुवार दोपहर 2 बजे गिद्ध को लाया गया. सफर में किसी तरह की परेशानी नहीं हो इसलिए करीब 12 घंटे के सफर के दौरान इसे भूखा रखा गया था. पहले इस गिद्ध को कन्याकुमारी से जोधपुर करीब 2600 किलोमीटर शिफ्ट करने के लिए सड़क मार्ग की प्लानिंग बनाई गई थी, लेकिन एक महीने पहले कन्याकुमारी से चेन्नई तक सड़क मार्ग से ट्रायल की गई उसमें उसके लिए खतरा महसूस किया गया. जिसके बाद एयरलिफ्ट करने का प्लान बनाया. जोधपुर में भी इसे इनकी प्रजाति के बीच छोड़ने से पहले सर्वे किया जाएगा.


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2017 में स्पेन से आया सिनेरियस प्रजाति के गिद्धों का झुंड कन्याकुमारी पहुंचा तो साइक्लोन की वजह से यह गिद्ध उड़ नहीं पाया. इसके बाद इसे उदयगिरि पार्क में रखा गया. इस बीच रिसर्च किया गया कि देश में इसके अनुकूल कौन सी जगह है. पता चला कि जोधपुर इसके लिए सबसे बेहतर है. मौसम के अनुसार जोधपुर में सिनेरियस प्रजाति के कई गिद्ध यहां आते हैं, इसके बाद इसे यहां लाने की प्लानिंग बनाई गई.


क्या कहा एक्सपर्ट ने?
एक्सपर्ट के अनुसार वल्चर को उड़ान भरने के लिए गर्म हवा (हीट वेव) की जरूरत होती है. साउथ का इलाका ठंडा होने की वजह से वहां गर्म हवाओं का असर न के बराबर होता है. ऐसे में वल्चर उड़ान नहीं भर पा रहा था. वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून से इकोलॉजिस्ट की टीम ने जब रिसर्च किया तो पता चला ऐसा एरिया पश्चिमी राजस्थान या गुजरात में मिल सकता है. जहां सर्दियों में भी ये आसानी से उड़ान भर सकता है.


इस गिद्ध की देखभाल उदयगिरि पार्क टीम की ओर से की गई. प्लान बनाया गया कि सड़क मार्ग से इसे जोधपुर पहुंचाया जाएगा. इसके लिए कन्याकुमारी से इसे सबसे पहले चेन्नई तक 707 किलोमीटर का सफर कर गाड़ी में लाया गया, लेकिन टीम को पता चला कि गिद्ध को ट्रैवलिंग स्ट्रेस होने लगा. कन्याकुमारी से चेन्नई तक गाड़ी में सफर के दौरान रिसर्च किया तो सामने आया कि बंद बॉक्स में 4 दिन तक रहना मुश्किल हो जाएगा. इसके साथ इतने दिन इसे भूखा रखना भी संभव नहीं है. इसके अलावा गिद्ध के लिए खतरा भी बढ़ गया था. इसलिए ऐन वक्त पर प्लान बदला और चेन्नई से एयरलिफ्ट कर जोधपुर लाने का प्लान बनाया गया.


डॉक्टरों की टीम कर रही है रिसर्च
डॉक्टर की टीम रिसर्च कर रही है. रिसर्च के बाद गिद्ध छोडा जाएगा. इस गिद्ध के साथ तमिलनाडु फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की टीम भी आई है. इसमें तमिलनाडु फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से DFO, वेटरनरी ऑफिसर और केयर टेकर भी शामिल हैं. माचिया के वेटरनिरी डॉक्टर ज्ञान प्रकाश ने बताया कि यह टीम शुक्रवार को जोधपुर के पास केरु में बने डंपिंग यार्ड का सर्वे करेगी. जिसमें यह पता लगाया जाएगा कि इस प्रजाति के गिद्ध यहां आ रहे हैं या नहीं. इसके बाद यह टीम दो दिनों तक इस पूरे एरिया का रिसर्च करेगी. यदि 25 से 30 वल्चर इस प्रजाति के मिलेंगे तो इसे भी वहां छोड़ा जाएगा, नहीं तो इसके लिए दूसरी जगह ढूढेंगे या फिर कई दिनों तक इंतजार करेंगे. जोधपुर के माचिया पार्क में इसे कुछ दिन एक्सपर्ट टीम की निगरानी में रखा जा रहा है, ताकि यह जोधपुर की आबोहवा के अनुकूल स्वयं को ढाल सके.


समूह में उड़ान भरते हैं गिद्ध
सिनेरियस, हिमालयन ग्रिफन और यूरोपियन प्रजाति के गिद्ध सर्दी के मौसम में लंबी दूरी तय कर भारत आते हैं. ये गिद्ध अमूमन मंगोलिया, कजाकिस्तान, स्पेन सहित कुछ अन्य देशों से उड़ान भरकर यहां पहुंचते हैं. कई बार इनकी उपस्थिति श्रीलंका और थाईलैंड तक में दर्ज की जा चुकी है. ऐसे में कोई बड़ी बात नहीं है कि सिनेरियस प्रजाति का यह गिद्ध कन्याकुमारी तक जा पहुंचा. आमतौर पर ये गिद्ध समूह में ही उड़ान भरते हैं, हो सकता है कि घायल होने के कारण यह गिद्ध पीछे रह गया. समय रहते लोगों की मदद से सही स्थान पर पहुंच गया और इसका इलाज हो सका.


गिद्धों की लगातार कम हो रही है संख्या
डॉ ज्ञान प्रकाश वन्य जीव चिकित्सक रेस्क्यू सेंटर माचिया सफारी पार्क ने बताया कि तेजी से कम हो रही गिद्धों की संख्या देश में आज तक गिद्धों की सही तरीके से कभी गणना ही नहीं की गई. ऐसे में सारे दावे अनुमान पर आधारित हैं. बेशक पूरे देश में ही गिद्धों के प्राकृतिक आवास धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं. इसका असर गिद्ध की आबादी पर पड़ना ही है.