Bundi News: रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद इंडियन स्टूडेंट (Student) स्वदेश लौटने के लिए बेताब हैं. यूक्रेन के ट्रेनोपिल मेडिकल कॉलेज (Medical College) में पढ़ाई कर रहे बूंदी जिले के नैनवा के 3 छात्र स्लोवाकिया के प्रिसोव शहर पहुंच गए. वहां एक होटल में रुक कर भारत लौटने के लिए एयरलाइन का इंतजार कर रहे हैं. स्लोवाकिया शहर में पहुंचने के बाद छात्र हरीश मीणा ने एक वीडियो भी बनाया है. उस वीडियो में हरीश मीणा सहित नैनवा के दोनों छात्र बहुत खुश नजर आ रहे हैं.


वीडियो में आसपास के वातावरण को दिखाते हुए छात्र हरीश मीणा बता रहे हैं कि उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं है. वे यहां पर सुरक्षित हैं. उन्हें खाना भी फ्री में दिया जा रहा है. खाने की स्टोर से लोग खाना ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं और लोगों में खुशी है. ये तीनों छात्र पिछले 1 सप्ताह से पोलैंड बॉर्डर पर अटके हुए थे. फिर वहां से 500 किलोमीटर दूर हंगरी बॉर्डर के लिए रवाना होकर उजा बॉर्डर क्रॉस कर स्लोवाकिया के प्रिसोव शहर पहुंच गए. सीएससी प्रभारी डॉ. एसएल मीणा के पुत्र अतुल मीणा, मॉडल स्कूल प्रिंसिपल रामपाल मीणा के पुत्र हरीश मीणा और दुकानदार हबीब मंसूरी के पुत्र आदेश मंसूरी सुरक्षित हैं.


यूक्रेन-पोलैंड बॉर्डर पर फंस गए थे
बूंदी जिले के तीन मेडिकल छात्र 27 फरवरी को यूक्रेन-पोलैंड बॉर्डर पर अन्य भारतीय छात्रों के साथ 20 घंटे से फंसे गए थे, जिससे छात्रों के परिजनों को चिंता सताने लगी थी. जिले के नैनवा के तीन छात्र यूक्रेन के ट्रेनोपिल में रहकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध शुरू होने से अन्य भारतीय छात्रों के साथ स्वदेश लौटने के लिए भारतीय दूतावास यूक्रेन के कहने पर यूक्रेन से पोलैंड के लिए निकल गए थे, लेकिन सभी भारतीय छात्रों के साथ से तीनों छात्र भी यूक्रेन-पोलैंड के बॉर्डर पर फंस गए थे. यहां से छात्र हंगरी बॉर्डर के लिए रवाना हुए और उजा बॉर्डर होते हुए स्लोवाकिया पहुंच गए.


कड़ाके की सर्दी में नहीं हुई खाने की व्यवस्था, एटीएम से नहीं मिल रहे थे पैसे
यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे छात्रों की सुरक्षित घर वापसी के लिए राज्य सरकार हर स्तर पर प्रयास कर रही है. यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा बूंदी जिले का एक छात्र राज्य सरकार और जिला प्रशासन के प्रयासों से मंगलवार को सुरक्षित घर पहुंच गया है. छात्र लालचंद ने बताया कि यूक्रेन में कड़ाके की सर्दी में हम लोग दहशत में थे और पिछले 4 दिनों से खाने की कोई व्यवस्था नहीं हो पा रही थी. साथ ही एटीएम में भी पैसे नहीं मिल रहे थे. ऐसे में कई छात्र आंसू बहा रहे थे. यूक्रेन की सेना रोक रही थी इस कारण 12 घंटे रोमानिया बॉर्डर पर अटके रहे. फिर वहां से जैसे-तैसे कर दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे. उसके बाद राज्य सरकार ने मदद कर हमें घर पहुंचाया है




जिला कलेक्टर रेणु जयपाल ने बताया कि तालेड़ा पंचायत समिति के लांबाखोह गांव निवासी लालचंद पुत्र रंगलाल यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था. मेडिकल की पढ़ाई में उसका इस बार चौथा साल था. यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर लालचंद वापसी के लिए प्रयास प्रयासरत था. उसने बताया कि राज्य सरकार की ओर से छात्र-छात्राओं की सुरक्षित घर वापसी के प्रयासों से सुरक्षित घर पहुंच पाया. तालेड़ा तहसीलदार मोहनलाल ने घर पहुंचने पर लालचंद और परिजनों से हालचाल पूछे.


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