झालावाड़ की जगह अब कोटा में नेशनल इमरजेंसी लाइफ सपोर्ट स्किल सेंटर बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया है. पहले बताया जा रहा था कि इसे झालावाड़ में बनाया जाएगा लेकिन झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में 1.40 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाला नेशनल इमरजेंसी लाइफ सपोर्ट स्किल सेंटर के लिए अनुमति नहीं मिली. नेशनल हेल्थ मिनिस्ट्री नई दिल्ली ने कहा कि 100 किलोमीटर की दूरी में दो सेंटर नहीं हो सकते. इसलिए झालावाड़ का निरस्त कर दिया गया है. झालावाड़ का सेंटर निरस्त होने पर अब इसे कोटा में बनाया जाएगा. झालावाड चिकित्सा विभाग को हालांकि बड़ा झटका लगा है क्योकि अब ट्रेनिंग के लिए सभी मेडिकल स्टाफ को कोटा अना पड़ेगा.


100 किलोमीटर की दूरी पर नहीं हो सकते दो सेंटर 
इस सेंटर को बनाए जाने के लिए हेल्थ मिनिस्ट्री नई दिल्ली ने ही झालावाड़ मेडिकल कॉलेज से प्रस्ताव मांगे थे. उसके बाद प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया लेकिन आचार संहिता से ठीक पहले इसे यह कहकर रोक दिया गया कि 100 किलोमीटर के बीच दो सेंटर नहीं हो सकते.


मेडिकल कॉलेज झालावाड़ में एकेडमिक ब्लॉक की छत पर नेशनल इमरजेंसी लाइफ सपोर्ट स्किल सेंटर बनने वाला था. इस सेंटर पर डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ को इमरजेंसी हालातों से निपटने के लिए ट्रेंड किया जाना था. मांगे गए प्रस्ताव के तहत जगह का चयन कर लिया, टीम ने दिल्ली से आकर निरीक्षण कर लिया और उसके बाद डिजाइन, मेप सभी को देखा और रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सौंप दी, उसके बाद केवल वित्तीय स्वीकृति दी जानी थी, लेकिन इसे रोक दिया गया.


 ट्रेनिंग के बाद अन्य विशेषज्ञ भी करवा सकते हैं प्रसव
इस सेंटर पर इस तरह का प्रशिक्षण दिया जाएगा की विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं होने पर दूसरा डॉक्टर भी उस मरीज को संभाल सके. इमरजेंसी में किसी गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा हुई और सीएचसी में गायनिक डॉक्टर नहीं है तो फिनिशियन या आॅथोर्पेडिक के डॉक्टर भी प्रसव करा सकेंगे, ताकि मरीज की जान को किसी प्रकार का खतरा नहीं हो. इस तरह की ट्रेनिंग यहां दी जाएगी ताकी बड़े खतरे को टाला जा सके या कम किया जा सके. कोरोना के बाद इस सेंटर की ज्यादा जरूरत महसूस की जा रही थी.


झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ डॉक्टर्स व नर्सिंग स्टाफ को ट्रेनिंग दी जानी थी. इसके बाद यहाँ ट्रेनी यहां पर ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत स्टाफ को प्रशिक्षित करते नेशनल इमरजेंसी लाइफ स्पोर्ट स्किल सेंटर खुलने पर डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ व अन्य पैरामेडिकल स्टाफ को डमी के माध्यम से प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जाना था.  लेकिन अब झालावाड के सभी मेडिकल स्टॉफ को कोटा आकर टेÑनिग लेनी होगी.