Rajasthan News: पश्चिमी राजस्थान धोरों की धरती और देश विदेश से आने वाले पर्यटकों की पहली पसंद जैसलमेर जिले की प्राचीन धरोहर में से एक पालीवाल ब्राह्मणों का बसाया हुआ है. श्रापित कुलधरा गांव जहां रात कोई नहीं रुक सकता है. कुलधरा गांव की प्राचीन दीवार को रील बनाने के लिए लात मार कर ढहाने वाले आरोपी युवक को सदर पुलिस थाना जैसलमेर ने गिरफ्तार कर लिया है.


गत 4 जनवरी को कुलधरा गांव की प्राचीन दीवार को लात मार कर गिराने का वीडियो वायरल होने के बाद ताराचंद हाल स्मारक परिचायक प्राचीन गांव कुलधरा जैसलमेर ने इस संबंध में अगर पुलिस थाना जैसलमेर में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. प्राचीन दीवार को क्षतिग्रस्त कर वीडियो सोशल मीडिया पर वायोरल करने वाले के मामले को पुलिस ने गंभीर साथ गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की है.


जैसलमेर पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उच्च अधिकारियों के सुपरविजन में थाना अधिकारी प्रेमाराम के नेतृत्व में एक टीम बनाई. पुलिस ने तकनीकी साक्ष के आधार पर आरोपी युवक देवराज पुत्र नथाराम कलबी निवासी डाबल पुलिस थाना और जिला सांचौर को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया है. इस प्रकरण में जांच जारी है. उसके अन्य साथियों के बारे में पूछताछ की जा रही है, आखिर देवराज ने ऐसा क्यों किया था.


जैसलमेर जिला पुलिस प्रशासन ने आमजन से अपील की है कि पूर्व शिशु के साथ किसी भी प्रकार से छेड़छाड़ ना करें और उन्हें नुकसान ना पहुंचाएं ऐसा करने वालों के खिलाफ पुलिस की ओर से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.


क्या है पूरा मामला?


पश्चिमी राजस्थान के धोरों की धरती का जैसलमेर जिले पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है. बीते दिनों जैसलमेर के ऐतिहासिक कुलधरा गांव में बनी पालीवाल ब्राह्मणों का प्राचीन धारोहर में तोड़फोड़ का एक वीडियो सामने आया था. वीडियो में कुछ युवक एक दीवार को लात मारकर गिर रहे थे. दीवार को गिराने के बाद वे हंसते हु उधर से निकल गए. सोशल मीडिया पर यह वीडियो सामने आने के बाद पर्यटन से जुड़े लोगों व जैसलमेर की जनता में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला. धरोहर को नुकसान पहुंचाने के मामले में जैसलमेर विकास समिति की ओर से पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई गई थी.


पालीवाल ब्राह्मणों के इस गांव को श्रापित गांव भी कहा जाता है


जैसलमेर से 16 किलोमीटर दूर कुलधरा गांव है. यह एक संरक्षित ऐतिहासिक गांव है. जो 200 साल पहले खाली हो गया था. पालीवाल ब्राह्मणों ने अपने बसे बसाए गांव को आतंक व बहन बेटी की इज्जत को बचाने के लिए गांव छोड़कर चले गए थे. कहा जाता है कि पालीवाल ब्राह्मणों के इस गांव को श्रापित गांव भी कहा जाता है. अब इस जगह टूटे-फूटे वीरान मकान हैं. यह गांव भारत सरकार की पुरातत्व महत्व की सुरक्षित जगह में शामिल है. इस गांव की जगह की देखरेख का काम एएसआई के साथ जैसलमेर विकास समिति भी करती है.


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