पहले टमाटर उसके बाद अदरक, धनिया और अब लहसुन के भाव आसमान छूते नजर आ रहे हैं. कोटा संभाग में लहसुन की अच्छी पैदावार होती है जिस कारण यहां का किसान भाव बढ जाने से बेहद प्रसन्न नजर आ रहा है तो आम जनता की पहुंच से सब्जियों में स्वाद देने वाला लहसुन बहुत कम इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके भाव आसमान छूते नजर आ रहे हैं.


फसल आने पर जो लहसुन 40-20 रुपए किलो था अब 180 रुपए और अच्छी क्वालिटी का लहसुन 200 तक पहुंच चुका है साथ ही इसके भाव और भी बढ़ने की संभावना जताई जा रही है. जब तक नई फसल बाजार में बिकने नहीं आती इसके दामों में कमी होने के आसार नहीं दिख रहे हैं.


 लहसुन महंगा होने से बीज के दाम भी आसमान पर होंगे 
किसानों के अनुसार वर्तमान समय की बात करें तो किसानों ने खरीफ की फसल की बुवाई की है, जो अक्टूबर और नवंबर में बाजार में बिकने के लिए आएगी. इसके बाद नवंबर-दिसंबर में ही रबी की फसल की बुवाई होगी. जिसमें लहसुन को बोया जाएगा. किसान इस बार लहसुन पर अपना दाव लगाने वाले हैं क्योंकि जिस किसान ने वर्ष 2022 में लहसुन लगाया वह माला माल हो गए.


जबकि इससे पूर्व लहसुन के दामों ने किसानों को रुलाया था. और लहसुन सड़क पर फैंक दिया गया था. लेकिन आज की बात करें तो आज इसके दाम आसमान छू रहे हैं. मंडी व्यापारियों का तो यह भी मानना है की मंडी में भी लहसुन के दाम आने वाले दिनों में 25,000 रुपए प्रति क्विंटल से 30000 रुपए प्रति क्विंटल  तक पहुंच सकते हैं. ऐसे में किसान को लहसुन के बीज के लिए भी भारी भरकम कीमत अदा करनी होगी. जिन किसानों ने बीते साल लहसुन का उत्पादन नहीं किया था. वो भी अबकी लहसुन के दाम बढ़ने से बुवाई के लिए इच्छुक होंगे. लेकिन उन्हें भी अब महंगा बीज खरीदना होगा.


 लहसुन को ज्यादा दिन तक स्टोर कर नहीं रखा जा सकता, प्रोसेसिंग यूनिट की आवश्यकता 
कोटा संभाग और मध्यप्रदेश में लहसुन की अच्छी पैदावार होती है. हाड़ौती में बीते कुछ सालों से लहसुन का उत्पादन तेजी से बढ़ा है. ऐसे में जब उत्पादन ज्यादा होता है तो किसान अपना रकबा कम कर लेते हैं. क्योंकि उन्हें दाम नहीं मिल पाते हैं. वहीं, जब मंडी में अच्छे दाम किसानों को मिलते हैं तो दूसरे साल  रकबा बढ़ जाता है. लेकिन फिर दम कंट्रोल में आ जाते हैं.


 लहसुन को स्टोर करके नहीं रखा जा सकता है. इसको डिहाइड्रेट करके फ्लेक्स या फिर पाउडर फॉर्म में रखा सकता है. इसलिए सरकार यहां प्रोसेसिंग यूनिट खोलने की बात करती रही है, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है. एमओयू तो हो जाते हैं पर धरातल पर काम नहीं होता.
 
इस बार फिर किसान के खेतों में बढ़ेगा लहसुन का रकबा
लहसुन का रकबा साल 2021 में 115000 हेक्टेयर था. लेकिन ये रकबा साल 2022 में गिरकर 79000 हेक्टेयर हो गया था. यह गिरावट करीब 30 फीसदी के आसपास है, हालांकि, इस साल लहसुन के अच्छे दाम किसानों को मिल रहे हैं. जिस कारण वर्ष 2023 में रकबा बढने की संभावना है.


इस वक्त किसान को प्रति बीघा में उन्हें 1 लाख से ज्यादा का फायदा हो रहा है. कई किसानों का यह फायदा और भी ज्यादा है. ऐसे में इस बार की रबी सीजन की बुवाई में लहसुन का रकबा बढ़ जाएगा. उम्मीद है कि करीब 90 हजार से 1 लाख हेक्टेयर तक इसकी बुवाई चारों जिलों में हो सकती है.


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