राजस्थान में खांसी का सिरप पीने के बाद कुछ बच्चों की तबीयत बिगड़ने और मौत की खबरों ने हड़कंप मचा दिया है. इस संवेदनशील मामले पर राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर का बयान अब विवादों में घिर गया है.

Continues below advertisement

मंत्री खींवसर ने कहा कि जिस सिरप के सेवन के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ी, उसके सैंपल जांच के लिए कई लैब में भेजे गए हैं और फिलहाल उसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है. उन्होंने साफ कहा कि विभाग इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकता. साथ ही उनका कहना था कि जब तक किसी के खिलाफ ठोस सबूत न हो, तब तक किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता.

अपने ही बयान में उलझे मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर

खींमसर ने बच्चों की मौत और तबीयत बिगड़ने की खबरों को 'प्री-मेच्योर' करार दिया. उन्होंने कहा कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि सिरप की वजह से ही बच्चों की हालत खराब हुई. उन्होंने मीडिया को भी नसीहत दी कि बिना प्रमाण के मौत या बीमारी का कारण किसी दवा को न बताया जाए.

Continues below advertisement

इस मामले पर जहां जनता और परिजनों में गुस्सा है, वहीं मंत्री के इस बयान को असंवेदनशील और बेतुका माना जा रहा है. विपक्ष ने भी सरकार को घेरते हुए कहा है कि जब मासूम बच्चों की जान का सवाल हो, तब सरकार और मंत्री को बेहद संवेदनशील रुख अपनाना चाहिए था.

जीएसटी से भरा सरकार का खजाना

इसी बीच गजेंद्र सिंह खींवसर ने एक और बयान देकर विवाद और बढ़ा दिया. उन्होंने जीएसटी दरें कम होने पर कहा कि "हमारी पार्टी बीजेपी इसकी मार्केटिंग करेगी और लोगों को बताएगी कि यह मोदी जी की वजह से हुआ है. नहीं तो जनता को पता ही नहीं चलेगा." उन्होंने यह भी कहा कि जिसे पहले ‘गब्बर सिंह टैक्स’ कहा जाता था, उसी जीएसटी से सरकार का खजाना भरा और अब जनता को राहत देने के लिए दरें कम की गई हैं.

सरकार की छवि पर सवाल उठ रहा मंत्री का बयान

बच्चों के स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील मामले में मंत्री का लापरवाह बयान न केवल असंवेदनशीलता दर्शाता है, बल्कि इससे सरकार की छवि पर भी सवाल उठ सकते हैं. विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी में है और संभव है कि आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़े.