Rajasthan Water Level: राजस्थान में जलस्तर लगातार घट रहा है. यहां पर इसके लिए सरकार युद्ध स्तर पर काम कर रही है. वहीं, ईआरसीपी को मूर्त देने के लिए पूरी तैयारी हो रही है. इसके साथ ही अब लोकसभा चुनाव में जहां पानी को मुद्दा बनाया जा रहा है.


वहीं प्रदेश में घटते जलस्तर पर चिंतन भी हो रहा है. राजस्थान विश्वविद्यालय के लाइफ़लोंग लर्निंग विभाग में विश्व जल दिवस के अवसर पर 'गिरते भू-जल का प्राकृतिक आधार पर समाधान' विषय पर चिंतन और मंथन किया गया. 


विभाग के निदेशक प्रो प्रकाश शर्मा ने कई बातों का जिक्र किया. उन्होंने यह बताया कि कैसे लगातार गिरते हुए जलस्तर को संभाला जा सकता है. किन प्रयासों की जरूरत है. वहीं, इस बैठक में शामिल हुए कई छात्र और छात्राओं ने अपने-अपने क्षेत्र में जल की समस्या को उठाया.


उन्होंने पूछा कि शेखावटी में यमुना का जल कब आएगा ? इतना है नहीं जयपुर में बने बांधों पर कितना काम किया गया. इस तरह के कई सवाल और जवाबों का दौर चला. 






ईआरसीपी पर क्या बोले निदेशक ? 
ईआरसीपी के निदेशक रवि सोलंकी ने बताया कि राजस्थान में पानी तेल की तरह है. अभी हरियाणा से एक बड़ा जल समझौता हुआ जिसपर काम हो रहा है.  यमुना का जल लाने के लिए चुरुं के राजगढ़ में एक बड़ा रिजर्वायर बनाया जाएगा. जहां पर छह किमी या सात किमी लम्बा तक पानी इकट्ठा होगा.


वहां से इकट्ठा पानई को झुंझुनूं और सीकर को पेयजल दिया जाएगा. मानव निर्मित रिजर्वायर से चूरू और झुंझुनूं को सिंचाई के लिए पानी दिया जायगा. जिसमें चार महीने और लगेंगे. जिसके लिए डीपीआर बनाया जा रहा है और जल्द ही भेजा जायेगा. इससे शेखावाटी के तीन जिलों को पूरा लाभ मिलेगा. इंदिरा गांधी नहर से राजस्थान के 10 जिले के लोग पानी पीते हैं.


भू-जल को लेकर क्या होगा ? 
मुख्य अभियंता भू-जल विभाग राजस्थान सूरजभान सिंह ने कहा कि मानवीय लालच की सीमाएं हमने लांघ दी है. नदी में भी बदलाव आया है. जयपुर को कभी पूरा पानी मिलता था लेकिन अब परेशानी हो रही हैं.


पानी के लिए पीढ़ियों से काम नहीं हो पाया है. वाटर रिचार्ज पर काम कम होने से ये परेशानी हो रही है. इसलिए अपने व्यवहार में बदलाव लाना होगा. लगातार इसपर काम करने से ही पानी की समस्या को कम किया जा सकता है.


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