Rajasthan Assembly Election Results 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद, प्रदेश के दो प्रमुख सियासी दल कांग्रेस-बीजेपी मंथन करने में लगे हैं. एक तरफ कांग्रेस अपने हार पर मंथन कर रही है, तो दूसरी तरफ बीजेपी प्रचंड बहुमत से जीत के बाद नए मुख्यमंत्री के नाम पर गहन मंथन कर रही है. इन सबके बीच उन प्रत्याशियों के नामों पर भी चर्चा हो रही हो, जिन्होंने टिकट नहीं मिलने पर बागी रुख अख्तियार कर लिया और निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में बड़ी जीत हासिल की. 


विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत से जीत दर्ज कर सत्ता में वापसी की है, तो वहीं कांग्रेस पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार महज 69 सीटों पर सिमट कर रह गए. इसी तरह भारतीय आदिवासी पार्टी को तीन, बीएसपी को दो, राष्ट्रीय लोकदल को एक और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को भी एक सीट मिली है. इस बार राजस्थान में 8 निर्दलीय प्रत्याशियों के सिर भी जीत का सेहरा बंधा है. इन निर्दलीय प्रत्याशियों में सबसे चर्चित नामों में से एक डीडवाना से चुनाव जीतने वाले यूनुस खान. डीडवाना में निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव जीतने पर यूनुस खान ने कई रिकॉर्ड बनाए. 


वसुंधरा राजे के करीबी नेताओं में शुमार
यूनुस खान पूर्ववर्ती राजस्थान की बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. उनका शुमार राजस्थान के बड़े मुस्लिम अल्पसंख्यक नेताओं में होता रहा. बीजेपी की वसुंधरा राजे सरकार के लिए यूनुस खान कई बार संकटमोचक बनकर सामने आए. यही वजह है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे उन्हें काफी अहमियत देती थीं. साल 2023 विधानसभा चुनाव में वह बीजेपी आलाकमान से लगातार डीडवाना से टिकट मांग रहे थे. टिकट नहीं मिलने से नाराज यूनुस खान ने समर्थकों से मशविरा के बाद निर्दलयी चुनाव लड़ने का फैसला किया और जीत हासिल की है. 


तीसरी बार डीडवाना से जीते यूनुस खान
यूनुस खान डीडवाना से निर्लदीलय प्रत्याशी के रुप में विधानसभा चुनाव जीतने वाले दूसरे उम्मीदवार हैं. इससे पहले डीडवाना सीट से साल 1993 में निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में जीत दर्ज की थी. डीडवाना विधानसभा सीट से तीसरी बार जीतकर यूनुस खान विधानसभा पहुंचे हैं. साल 2003 में बीजेपी के टिकट पर वह पहली बार यहां से चुनाव जीते थे और डीडवाना सीट से जीतने वाले पहले मुस्लिम प्रत्याशी बने. उसके बाद साल 2013 में भी यूनुस खान ने यहां से जीत दर्ज की. हालांकि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में आखिरी समय में बीजेपी ने यूनुस खान को पार्टी का उम्मीदवार बनाया. 


सचिन पायलट के खिलाफ यूनुस खान लड़े चुनाव
साल 2018 में यूनुस खान को बीजेपी ने टोंक से पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के खिलाफ प्रत्याशी बनाया था. टोंक मुस्लिम बाहुल्य सीट मानी जाती है, ऐसे में बीजेपी इसे एक तुरुप के इक्के के तौर पर इस्तेमाल करना चाहती थी. हालांकि इसके उलट सचिन पायलट के सामने यूनुस खान को हार का सामना करना पड़ा था. साल 2023 विधानसभा चुनाव के समय भी यूनुस खान आखिरी समय तक बीजेपी से टिकट मिलने का इंतजार करते रहे, लेकिन टिकट नहीं मिलने से नाराज यूनुस खान ने डीडवाना  से चुनाव लड़ने का फैसला किया. यूनुस खान ने निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी चेतन सिंह चौधरी को 2392 वोट से हराया. 


यूनुस खान को क्यों नहीं मिला टिकट?
डीडवाना से बीजेपी प्रत्याशी जितेंद्र सिंह तीसरे स्थान पर रहे, उन्हें 48814 वोट मिले. डीडवाना में 2.66 लाख मतदाता हैं, इस सीट पर मुस्लिम और राजपूत वोटर्स की बहुलता है. बीजेपी इस बार उनको टिकट न मिलने की वजह पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का वफादार होना बताया जा रहा था. कई मीडिया रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि बीजेपी द्वारा एकमात्र मुस्लिम चेहरे को टिकट न देने की वजह उनका पार्टी के हिंदुत्व के एजेंडे में फिट न बैठना. बीजेपी ने इस बार राजस्थान के सभी 200 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, पार्टी ने किसी भी सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया. 


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