Rajasthan Congress Crisis: राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद एक बार फिर शुरू हो गया है. हालांकि इस बार बागी सुर पायलट के नहीं बल्कि गहलोत के करीबी विधायकों के हैं. गहलोत गुट के विधायकों का स्पष्ट कहना है कि वह सचिन पायलट को सीएम के तौर पर स्वीकार नहीं कर सकते हैं. इतना ही नहीं विधायकों ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पर्यवेक्षकों- अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात तक नहीं की. पर्यवेक्षकों का दावा है कि वह विधायकों से यह कहते रहे कि वह सभी से 1-1 कर के बात करेंगे और फिर उनकी बात कांग्रेस लीडरशिप तक पहुंचाई जाएगी लेकिन उनकी नहीं सुनी गई.


दीगर है कि साल 2018 में राजस्थान में सत्ता में आने के बाद साल 2020 की जून-जुलाई में सचिन पायलट ने बागी रुख अख्तियार कर लिया था. उस वक्त पायलट, राजस्थान कांग्रेस के मुखिया और सरकार में डिप्टी सीएम थे. हालांकि उनकी बगावत के चलते गहलोत ने पहले उन्हें सरकार के बर्खास्त किया और फिर अपने करीबी गोविंद सिंह डोटासरा को पीसीसी चीफ नियुक्त करवाया. इसके बाद बगावत का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया और फिर गहलोत गुट के पक्ष में फैसला हुआ. हालांकि इसके बाद पायलट के बागी सुर थम गए और फिर वह पार्टी में बने रहे. 


उधर, जब कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए अशोक गहलोत के नाम की चर्चा शुरू हुई तो यह भी सवाल उठे कि अब राजस्थान का सीएम कौन होगा. समझा जाता है कि कांग्रेस नेतृत्व, पायलट के पक्ष में थी. हालांकि विधायकों के बागी रुख के बाद फिलहाल इस चर्चा पर विराम है और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने माकन और खड़गे से राजस्थान के पूरे घटनाक्रम पर लिखित रिपोर्ट मांगी है.


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इन सबके बीच आइए हम आपको बताते हैं कि राजस्थान में सीएम पद के लिए कब-कब बवाल हुआ-


-राजस्थान में पिछला चुनाव साल 2018 में हुआ था तब कांग्रेस विपक्ष में थी.


-विधानसभा चुनाव से पहले सचिन पायलट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे.


-सचिन पायलट के प्रदेश अध्यक्ष रहते ही कांग्रेस ने 2018 का विधानसभा चुनाव जीता.


-चुनाव के बाद अशोक गहलोत सीएम व सचिन पायलट को डिप्टी सीएम बनाया गया.


-तब से ही गहलोत पायलट के बीच खींचतान चली आ रही थी.


सचिन पायलट की बगावत


-जुलाई 2020 में सचिन पायलट अपने गुट के विधायकों के साथ हरियाणा के एक रिसोर्ट में पहुंचे.


-11 जुलाई 2020 को पायलट आए दिल्ली आए कांग्रेस से दूरी बनाई.


-उनके साथ राजस्‍थान कांग्रेस के बागी 24 विधायक हरियाणा पहुंच गए.


-पायलट पर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने का आरोप लगा.


13 जुलाई 2020 को गहलोत का शक्ति प्रदर्शन


-पार्टी विधायक दल की बैठक बुलाई गई.


-इसके लिए कांग्रेस विधायकों को व्हिप जारी किया गया.


-व्हिप को लेकर दोनों नेताओं का खेमा अलग-अलग दावे कर रहा था.


-बैठक में पायलट खेमे के विधायक नहीं पहुंचे.


-बैठक में 107 विधायक पहुंचे। मीडिया के सामने शक्ति प्रदर्शन किया। इसके बाद बाड़ाबंदी शुरू हुई और गहलोत ने अपने गुट के सभी विधायकों को होटल रवाना कर दिया गया.


करीब 32 दिन तक यह ड्रामा चलने के बाद यह विवाद खत्म हुआ.


-पायलट की दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात के बाद विवाद खत्म हुआ.


-सचिन पायलट को डिप्टी सीएम व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोडना पडा था.


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