Rajasthan Politics: दिल्ली में सोनिया गांधी (Sonia Gandhi), राहुल गांधी (Rahul Gandhi) व प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) से प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की मुलाकात के बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की बात भी चर्चा में थी लेकिन आखिरकार प्रशांत किशोर ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि वह कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे लेकिन कांग्रेस के अंदर खाने कुछ और ही चल रहा है.


मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीकी तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग ने नाम लिए बिना प्रशांत किशोर पर निशाना साधा है. सुभाष गर्ग ने आज सुबह ट्वीट किया कि किसी संगठन को मजबूत व ताकतवर केवल नेतृत्व व कार्यकर्ता ही बना सकते हैं. कोई सलाहकार व सर्विस प्रोवाइडर नहीं. नेतृत्व को चाणक्य की जरूरत है न कि व्यापारी की. गर्ग के इस ट्वीट को प्रशांत किशोर पर हमला माना जा रहा है. हालांकि अब प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होने से मना कर चुके हैं.



सवाल किए जाने पर सुभाष गर्ग ने दिया ये जवाब


सुभाष गर्ग से जब इस ट्वीट पर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मायने निकालने के लिए लोग स्वतंत्र हैं. गर्ग ने पीके का नाम नहीं लिया. गर्ग के इस ट्वीट के बाद सियासी हलकों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं. सीएम खेमे के मंत्री गर्ग का सलाहकार, सेवा प्रदाता और व्यापारी जैसे शब्द इस्तेमाल करना सीधा प्रशांत किशोर की तरफ इशारा है, क्योंकि हाल के दिनों में राजस्थान में तो ऐसा कोई मामला आया नहीं है. यहां चाणक्य शब्द सीएम अशोक गहलोत के लिए इस्तेमाल किया गया है.


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जानकार कह रहे ये बात


सुभाष गर्ग आरएलडी कोटे से गहलोत सरकार में मंत्री हैं. वे लंबे समय से सीएम से जुड़े हुए हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सीएम खेमे का कोई मंत्री इशारों में बिना किसी सियासी मकसद के ट्वीट नहीं करेगा. जानकार इसे चिंतन शिविर से पहले टेस्ट फायर के तौर पर मान रहे हैं. कांग्रेस में कई वरिष्ठ नेता प्रशांत किशोर के फार्मूले से लेकर उन्हें बड़ी भूमिका दिए जाने से सहमत नहीं थे. गर्ग के इस ट्वीट को उन्हीं नेताओं की तरफ से टेस्ट फायर के तौर पर देखा जा रहा है.


सुभाष गर्ग आरएलडी कोटे से मंत्री हैं, इसलिए कांग्रेस के अनुशासन से बंधे नहीं है. गर्ग ने डिप्लोमेटिक तरीके से बिना नाम लिए हमला बोला है, इसलिए विवाद होने पर यह कहने का रास्ता भी बचता है कि उन्होंने किसी और के लिए यह कहा है. यह पहला मौका नहीं है, जब इशारों में सियासी हमला बोला गया हो. इससे पहले कई नेता इसी तकनीक के जरिए सियासी करंट नापते रहे हैं.


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