Rajasthan Assembly News: राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उदयपुर पहुंचे. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए विधानसभा से जुड़े नवाचार के बारे ने बताया. उन्होंने बताया कि पक्ष विपक्ष कैसे कार्य करें और कितने दिन विधानसभा चले, कितने समय के लिए चले. साथ ही विधानसभा चैनल, डिजिटलाइजेशन सहित विधानसभा में कई नवाचार करने की बात भी कही. जानिए सर्किट हाउस में मीडिया से वासुदेव देवनानी ने क्या कहा?



वासुदेव देवनानी ने कहा कि विधानसभा सभा में सार्थक बहस हो, जनता के सारे मुद्दे उसमें उठे और सब लोग उसमें मिलकर के जनता की समाधान के कारक बने. सत्ताधारी दल विपक्ष जो बात कहता है उसकी सुने और विपक्ष जो सत्ताधारी दल ने निर्णय लिए उन्हें लागू करने ने अच्छी बातों का सहयोग करें, तो निश्चित विधानसभा अच्छी चलेगी. उन्होंने आगे कहा कि को विधानसभा 60 दिन चलनी चाहिए, लेकिन विधानसभा 25 से 30 दिन तक ही चलती है. मेरा प्रयास होगा कि कम से कम 40 से 45 दिन चले और धीरे धीरे 50 से 60 लेकर जाए. 

 

विधानसभा को पेपर लेस बनाने की कोशिश जारी

 

वासुदेव देवनानी ने कहा कि जब विधायक था तब देखा कि सरकारें एक ही दिन में 8-8 बिल पारित करवाती थी. एक दिन ने एक ही बिल होने चाहिए, ताकि हर विधायक तैयारी करके आकर बैठ सकें. उन्होंने कहा कि पहली बार सर्वदलीय बैठक का आयोजन भी किया है. साथ ही समितियों का काम भी प्रभावी हो उसके लिए भी नई-नई बातें सोची है. धीरे-धीरे विधानसभाएं पेपरलेस ही रही है और राजस्थान विधानसभा भी 80 प्रतिशत तक पेपर लेस हो चुकी है. इस बार पूरी पेपर लेस होगी.

 

'विधानसभा सदस्य के टेबल पर लगेगी स्क्रीन'

 

देवनानी ने आगे कहा कि हर विधानसभा सदस्य के टेबल पे एक स्क्रीन और लेपटॉप लग जाए, जिससे सदस्य का काम आसान हो जाएगा. प्रश्नों के लिए ब्यूरोक्रेसी के निर्देश दिए हैं कि एक सदन के सारे प्रश्नों के उत्तर अगले सत्र से पहले विधायकों को उपलब्ध कराएं. जनता तक डिजिटल माध्यम से विधानसभा की बात पहुंचे. इसके लिए हेल्प डेस्क शुरू कर रहे हैं. व्हाट्सएप चैनल भी तुरंत शुरू कर रहे हैं. एक डिजिटल चैनल का भी प्रोजेक्ट शुरू करवाया है.

 

जिसके माध्यम से हर सदस्य जो अपने क्षेत्र में मुद्दे उठा रहा है, काम कर रहा है, उसका सीधा प्रसारण, जैसे लोकसभा और राज्यसभा का चैनल है उसी प्रकार का चैनल होगा जिसे प्रसारण होता रहेगा. यहीं नहीं जो सदस्य अपने क्षेत्र में उद्भूत काम कर रहा है, उसकी भी चर्चा होनी चाहिए. जैसे कर्नाटक विधानसभा में सत्र के एक या दो दिन ऐसे रखा जिसमें सामाजिक क्षेत्र में सदस्यों ने जो काम किया उसकी चर्चा होती है.