राजस्थान विधानसभा में धर्मांतरण विरोधी बिल पास होने के बाद से, पक्ष विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. हालांकि, विपक्ष की ओर से सदन में हुई बहस में हिस्सा नहीं लिया गया, लेकिन मीडिया से बातचीत में विपक्षी नेताओं ने इस बिल को सौहार्द बिगाड़ने वाला बताया.
बड़ी बात यह है कि आखिर इस बिल की जरूरत क्यों पड़ी? सरकार को यह बिल क्यों लाना पड़ा? वहीं, दूसरी खास बात यह है कि पूरे देशभर में सबसे कठोर कानून धर्मांतरण विरोधी बिल राजस्थान में है.
विदेशी फंडिंग पर रोक के लिए कानून जरूरी
सदन में धर्मांतरण विरोधी कानून तो लागू हो गया, लेकिन यहां एक नई चीज सामने आई है. विधायक फूल सिंह मीणा ने सरकार से एक प्रश्न में जवाब मांगा, जिसमें उन्होंने पूछा कि प्रदेश में लव जिहाद के पिछले सालों में कितने मामले सामने आए हैं. जिस पर सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश में लव जिहाद का कोई भी मामला दर्ज नहीं है.
ऐसे में, सरकार के इस फैसले के पीछे पक्ष यह है कि प्रदेश में धर्म परिवर्तन के लिए विदेशी फंडिंग की जाती है. अलग-अलग संस्थाएं गरीब, मजबूर परिवारों के लोगों को लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाते हैं. ऐसे में प्रदेश में सख्त कानून की आवश्यकता थी.
राजस्थान में 5 साल में धर्मांतरण के 13 केस दर्ज हुए
हालांकि, "लव जिहाद" को मुद्दा बनाकर देशभर में राजनीतिक पार्टियां अपनी राजनीति चमकाती हैं, वैसा मामला राजस्थान में दर्ज ही नहीं है. दूसरी तरफ, धर्मांतरण को लेकर विधायक ललित मीणा ने प्रश्न लगाया, जिसमें उन्होंने पूछा कि प्रदेश में धर्मांतरण और लव जिहाद से संबंधित पिछले 5 सालों में कितने प्रकरण दर्ज हैं.
जिस पर सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि पिछले 5 सालों में धर्मांतरण के 13 प्रकरण दर्ज हुए हैं, वहीं लव जिहाद से संबंधित कोई भी प्रकरण दर्ज नहीं हुआ.