राजस्थान विधानसभा में कैमरे लगाए जाने और बीजेपी विधायक गोपाल शर्मा द्वारा कांग्रेस के मुस्लिम विधायकों को ‘घर वापसी’ की नसीहत दिए जाने को लेकर विवाद और गहराता जा रहा है. 11 सितंबर को कांग्रेस के विधायकों ने राज्यपाल हरिभाऊ बागडे से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा है.
कांग्रेस ने दोनों मामलों में तुरंत दखल व सख्त कार्रवाई की मांग की है. विपक्ष के नेता टीकाराम जूली के नेतृत्व में गवर्नर से मिले प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि यह विधायकों की निजता और संवैधानिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है.
हाई लेवल कमेटी से कैमरा मामले की हो जांच- कांग्रेस
कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने विधानसभा परिसर को तत्काल सील कर हाई लेवल कमेटी से कैमरा मामले की जांच कराए जाने की मांग रखी. विधायकों ने कहा कि हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में सर्वदलीय विधायकों की समिति गठित होनी चाहिए ताकि निष्पक्ष जांच हो सके.
उनका आरोप है कि लाइव टेलीकास्ट और वॉइस रिकॉर्डिंग के नाम पर लगाए गए अतिरिक्त कैमरे विधायकों की गोपनीयता भंग कर रहे हैं. कांग्रेस का कहना है कि यह न केवल लोकतांत्रिक परंपरा के खिलाफ है बल्कि सदन की गरिमा को भी ठेस पहुंचाता है.
‘घर वापसी’ बयान पर कार्रवाई की मांग
कांग्रेस विधायकों ने धर्मांतरण बिल पर चर्चा के दौरान बीजेपी विधायक गोपाल शर्मा द्वारा मुस्लिम विधायकों रफीक खान और अमीन कागजी को ‘घर वापसी’ की सलाह देने के मामले को भी गंभीरता से उठाया.
प्रतिनिधिमंडल ने इसे धर्म परिवर्तन के लिए उकसाने वाला कदम बताते हुए शर्मा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की. कांग्रेस का कहना है कि इस तरह की टिप्पणी विधानसभा के नियमों और संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. साथ ही उन्होंने विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी बुधवार को ही जमा किया था.
विपक्ष ने दी अदालत जाने की चेतावनी
विपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने गवर्नर से मुलाकात के बाद दावा किया कि उन्हें दोनों मामलों में उचित कार्रवाई का आश्वासन मिला है. उन्होंने कहा कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो कांग्रेस अदालत का दरवाजा खटखटाएगी.
कांग्रेस विधायकों का कहना है कि सदन में कैमरे लगाना और विधायकों की निजी बातचीत रिकॉर्ड करना लोकतांत्रिक संस्थाओं में अविश्वास पैदा करता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी और सदन की गरिमा बचाने के लिए हर संभव कदम उठाया जाएगा.