Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा चुनाव वर्ष 2023 के अंत में होने हैं, लेकिन सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे की कलह कम होती नजर नहीं आ रही है. उदयपुर में आयोजित हो रहे तीन दिवसीय चिंतन शिविर में पायलट खेमे और गहलोत के बीच दूरियां दिखाई दीं. दोनों नेता चिंतन शिविर के आसपास दिखाई भी नहीं दिए और न ही दूरियों को पाटने या खत्म करने का प्रयास पार्टी आलाकमान की तरफ से हुआ. पार्टी नेताओं के कुछ बयान भी संकेत करने के लिए काफी हैं.


कांग्रेस के चिंतन शिविर से भी नहीं कम हुईं दूरियां


कांग्रेस की राष्ट्रीय अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी के अधिक करीब सीएम गहलोत दिखे. चिंतन शिविर से पहले जैसे कयास लगाए जा रहे थे उन कयासों पर अब पूरी तरह विराम लगता नजर आ रहा है. अब राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा. सीएम अशोक गहलोत के ही नेतृत्व में अगला चुनाव लड़ा जाएगा. ऐसे बयानों से संकेत मिल रहे हैं कि सचिन पायलट को पार्टी कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं देने वाली है. आलाकमान की ओर से भी चिंतन शिविर में राजस्थान के विवाद पर कोई चिंता नहीं दिखाई दे रही है. 


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कब खत्म होगा पायलट खेमे-गहलोत के बीच कलह? 


कांग्रेस आलाकमान के साथ सीएम गहलोत के रिश्ते काफी मजबूत नजर आ रहे हैं. चिंतन शिविर से पहले और बाद में सचिन पायलट के बयान तो सामने आए ही वहीं अब चिंतन शिविर में एक बार फिर सचिन पायलट अलग-थलग पड़े नजर आए. आलाकमान ने इस मुद्दे पर अब तक कुछ भी नहीं बोला है. चिंतन शिविर शुरू होने से लेकर तमाम कमेटियों की बैठकों तक में कहीं भी कैमरे के सामने दिखाई नहीं दिए. सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी के उदयपुर आने पर स्वागत करने वालों की भीड़ में भी पायलट को विशेष तवज्जो मिलती नहीं दिखी.  


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