Jodhpur News: मध्य प्रदेश के गुना में निजी ट्रेवल्स बस की टैंकर से भिड़ंत के बाद बस में भीषण आग लग गई. इस रोंगटे खड़े कर देने वाले हादसे में 10 यात्रियों के जलकर दर्दनाक मौत हो गई. बस के अंदर में मौजूद 12 यात्री बुरी तरह झुलस गए. इस हादसे की खबर फैलते ही लोग सकते में आ गए. बस से यात्रा करते समय सुरक्षा संबंधी उपायों को लेकर कई तरह सवाल खड़े होने लगे हैं.


बस से यात्रा करने वाले यात्रियों के मन एक डर पैदा हो गया है. बस से यात्रा करते समय यात्रियों की सुरक्षा लेकर बस संचालक द्वारा क्या व्यवस्था की गई है, जिससे उनकी यात्रा सुरक्षित रहे है.बीते दिनों हुई कई घटनाओं से यात्री इन सब बातों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं. हालांकि यात्री मजबूरी में ऐसी असुरक्षित बसों से सफर करने के लिए मजबूर हैं. बस की


अगल-अलग रुटों पर चलने वाले निजी बस संचालकों और सरकारियों अधिकारी के द्वारा सुरक्षा संबंधी उपाय कर रहे हैं या नहीं? इसको लेकर एबीपी न्यूज जोधपुर ने निजी बस संचालकों का रियलिटी चेक किया. रियलिटी चेक के दौरान कई चौंकाने वाली खामियां सामने आई हैं. अधिकतर निजी बसों में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर किये गए उपाय महज औपचारिक और दिखावे वाले ही निकले.


यात्रियों की सुरक्षा और किसी अनहोनी से निपटने के लिए बस के चालकों और परिचालकों को कई तरह की सेफ्टी ट्रेनिंग दी जाती है. आईये जानते हैं सुरक्षा मानकों पर कितना खरा उतरती हैं. निजी बसें और उनके लिए सुरक्षा के क्या हैं निमय.


क्या हैं नियम?
बस चालक और परिचालक को फायर सेफ्टी की ट्रेनिंग दी जाती है. साथ ही फायर सेफ्टी के सिलेंडर से स्प्रे कर आग पर कैसे काबू पाया जाता है, इसको भी भली भांति सिखाया जाता है. हालांकि जोधपुर में अधिकतर चालक व परिचालक को इस बात की जानकारी भी नहीं की फायर सेफ्टी के दौरान किस तरह से उन्हें आग बुझाने के लिए काम करना है. 


सेफ्टी सिलेंडर से आग बुझाने की जानकारी नहीं
जोधपुर से मध्य प्रदेश की ओर जाने वाली बस के सुरक्षा मानकों को चेक किया गया. बातचीत के दौरान बस ड्राइवर ने बताया कि "बस में इमरजेंसी खिड़की है, जिसे इमरजेंसी के समय ही खोलते हैं." बस में आग लगने जैसा हादसा होने पर अपनाए जाने वाले सुरक्षा उपाय के सवाल पर बस ड्राइवर ने बताया कि हमारे पास फायर सेफ्टी सिलेंडर है. हालांकि जांच करने पर पता चला कि सेफ्टी सिलेंडर किसी काम का नहीं है. सबसे हैरानी तो तब हुई जब बस के चालक और परिचालक दोनों को फायर सेफ्टी सिलेंडर से आग बुझाने की जानकारी नहीं होने के बारे में बताया, लेकिन संबंधित बस ड्राइवर के पास हर कमी के लिए लाजवाब करने वाले बहाने जरुर थे.


'खिड़की खुलती है इसलिए नहीं है...'
जोधपुर से अहमदाबाद की ओर चलने वाली निजी ट्रेवल्स बस का रियलिटी चेक के दौरान ड्राइवर ने कहा कि "हमारे बस में सुरक्षा के लिए कैमरे लगे हुए हैं, लेकिन फायर सेफ्टी के लिए किसी तरह की व्यवस्था बस में मौजूद नहीं थी." मेडिकल किट बस में जरुर मौजूद था. बस मालिक ने बताया कि "बस में सारी खिड़कियां खुलने वाली है, इसलिए फायर सेफ्टी सिलेंडर की जरूरत नहीं पड़ती है." बस मालिक ने धमकाते हुए कहा कि हमने कह दिया पूरी सुरक्षा के इंतजाम है तो बस हैं और उसने कैमरे पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया.


बस मालिक सेफ्टी सिलेंडर का नहीं जानता था उपयोग
जोधपुर से मुंबई चलने वाली निजी बस ट्रेवल्स की बस का रियलिटी चेक किया. बस के अंदर इमरजेंसी खिड़की को भी खोल कर देखा, जो बिल्कुल सही हालत में था. फायर सेफ्टी को लेकर हमने बस मालिक से पूछा तो उसने सिलेंडर दिखाया. सेफ्टी सिलेंडर को हाथ में उठाकर उसने कई बातें बताई, लेकिन उसका उपयोग कैसे किया जाए. वो खुद भी नहीं जानता है.


जोधपुर से मुरैना की ओर जाने वाली निजी ट्रैवल्स बस के मालिक ने बताया कि हमारी बस में इमरजेंसी खिड़की है. उसकी सर्विस के दौरान रोजाना खोल कर देखा जाता है. साथ ही फायर इमरजेंसी के लिए हमारे पास स्प्रे सिलेंडर मौजूद है. जिससे आग लगने पर उसे पर काबू पाया जा सकता है. हालांकि स्प्रे मौजूद थे, लेकिन उसका साइज इतना छोटा था कि वह बस जैसी जगह पर आग लगने पर उसको बुझाने में कारगर साबित नहीं सकता है.


बसों में आग लगने की क्या है वजह?
बीते कुछ दिनों में राजस्थान से दूसरे राज्यों में जाने वाली बसों में आग लगने की घटनाएं सामनाएं आई हैं. बसों में आग लगने की घटनाओं के बढ़ते मामलों को लेकर एक्सपर्ट नवनीत से संपर्क किया गया. तो उन्होंने हैरान करने वाले खुलासे किए. नवनीत ने बताया कि अधिकतर आग लगने की घटनाएं पिछले चार-पांच सालों से सामने आ रही है. आग लगने की अधिकतर घटनाएं बीएस6 बसों में सामने आई हैं. उन्होंने बताया कि इन बसों में सेंसर और अधिक वायरिंग के कारण आग तेजी से लगने लगती है. पुरानी बसों में कभी भी इस तरह की भयंकर आग हमने नहीं देखी है.


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