PM Modi in Rajasthan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) राजस्थान के बांसवाड़ा में मानगढ़ धाम (Mangarh Dham) पहुंच गए हैं. यहां पर पीएम मोदी स्मारक को राष्ट्रीय दर्जा देने का एलान कर सकते हैं. बता दें, पीएम मोदी एयर फोर्स के स्पेशल विमान से मानगढ़ पहुंचे हैं. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot), एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) और गुजरात सीएम भूपेंद्र पटेल (Bhupendra Patel) भी मानगढ़ पहुंच चुके हैं. यहां पर तीनों राज्यों के बीजेपी अध्यक्ष भी हैं.


बीजेपी इस बार आदिवासी समाज में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है. सबसे पहले द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति का पद दिलाया और इस वर्ग को साधने के लिए बड़ा कदम उठाया. वहीं, अब पीएम मोदी बांसवाड़ा पहुंचकर राजस्थान, एमपी और गुजरात के आदिवासियों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं.


मानगढ़ गौरव गाथा कार्यक्रम में शामिल पीएम मोदी और सीएम गहलोत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित तीन राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ एक सार्वजनिक कार्यक्रम मानगढ़ धाम की गौरव यात्रा में हिस्सा लिया. इस दौरन पीएम मोदी और सीएम गहलोत ठीक अगल बगल बैठे. दूसरी तरफ गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल, शिवराज सिंह चौहान बैठे हुए हैं.


कांग्रेस ने बताया इसे चुनावी स्टंट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मानगढ दौरे और आदिवासी सम्मेलन को लेकर मध्य प्रदेश बीजेपी उत्साहित है. बीजेपी ने इस सम्मेलन के लिये जमकर तैयारी की है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री के दौरे से आदिवासियों की किस्मत संवरेगी. मगर कांग्रेस का कहना है कि यह सम्मेलन चुनाव से पहले आदिवासी वोटरों को लुभाने के लिये है. वह आदिवासी जो बीजेपी से दूर हो गए हैं. 


जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को देंगे श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मानगढ़ दौरे पर हैं, जहां होने वाले आदिवासी सम्मेलन में वो शिरकत करेंगे. इस सम्मेलन को धूलि वंदन कहा जा रहा है. दावा है कि यहां पर हजारों आदिवासियों ने अंग्रेजों से लड़ते हुए बलिदान दिया था. यग जगह राजस्थान में है. मगर मध्यप्रदेश के चार जिलों के 25 हजार आदिवासी इस सम्मेलन में जाएंगे. 


राजस्थान में होने वाले इस सम्मेलन में एमपी के आदिवासियों को भेजने पर कांग्रेस सवाल उठा रही है. पार्टी का दावा है कि पिछली बार जो जमीन बीजेपी ने आदिवासी इलाकों में खोई थी. यह उसे पाने की कोशिश है. इसलिये हर कुछ दिनों में आदिवासियों के नाम पर सम्मेलन हो रहे हैं, मगर आदिवासी बीजेपी के होंगे नहीं.