सिरोही जिले के पिण्डवाड़ा उपखंड के भारजा गांव में शुक्रवार (24 अक्टूबर) को आयोजित ग्रामीण सेवा शिविर का ग्रामीणों ने बहिष्कार कर दिया. किसी भी ग्रामीण ने शिविर में भाग नहीं लिया. ग्रामीण शिविर स्थल के सामने एकत्र होकर प्रस्तावित खनन परियोजना के खिलाफ विरोध जताते रहे. जानकारी के अनुसार, पिण्डवाड़ा क्षेत्र के भारजा, भीमाना, वाटेरा और रोहिड़ा क्षेत्र की लगभग 800.9935 हेक्टेयर भूमि पर जयपुर की मेसर्स कमलेश मेटा कास्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा चूना पत्थर खनन परियोजना प्रस्तावित है. इस परियोजना के विरोध में क्षेत्रवासी करीब डेढ़ महीने से लगातार आंदोलनरत हैं.
खनन परियोजना को निरस्त करने की रखी मांग
शिविर के दौरान पिण्डवाड़ा उपखंड अधिकारी नरेंद्र जांगिड़ मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीण अपनी मांग पर अडिग रहे. उन्होंने खनन परियोजना को क्षेत्र के पर्यावरण और जनजीवन के लिए घातक बताते हुए इसे पूर्णतः निरस्त करने की मांग रखी
ग्रामीणों ने शिविर प्रभारी एबीडीओ जितेन्द्र सिंह राणावत को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा और कहा कि जब तक परियोजना को रद्द नहीं किया जाता, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा. ग्रामीणों का कहना है कि खनन परियोजना शुरू होने पर उनकी कृषि भूमि, जल स्रोत और आजीविका पर गंभीर असर पड़ेगा. इस कारण उन्होंने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि वे किसी भी सरकारी शिविर या कार्यक्रम में भाग नहीं लेंगे, जब तक सरकार उनकी मांग नहीं मान लेती.
राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन
ग्रामीणों ने शिविर प्रभारी एबीडीओ जितेन्द्र सिंह राणावत को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि खनन परियोजना को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि यह आंदोलन अब केवल एक गांव का नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र का जन आंदोलन बन चुका है.
ज्ञापन में ग्रामीणों ने उल्लेख किया कि क्षेत्र में खनन से पर्यावरणीय असंतुलन बढ़ेगा, पेयजल संकट गहराया और स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ेगा. साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द निर्णय नहीं लिया तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा. इस दौरान भारजा ग्राम पंचायत के प्रशासक पुखराज प्रजापत सहित भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहें.
'हम अपनी मातृभूमि नहीं खोएंगे'
ग्रामीणों ने कहा कि जयपुर स्थित मेसर्स कमलेश मेटा कास्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पिंडवाड़ा क्षेत्र की करीब 800.9935 हेक्टेयर भूमि पर खनन परियोजना प्रस्तावित की गई है. इस परियोजना में भारजा, भीमाना, वाटेरा और रोहिड़ा ग्राम पंचायतों की कृषि भूमि शामिल है.
गांव वासियों का कहना है कि अगर यह खनन परियोजना शुरू हुई तो हजारों किसानों की आजीविका पर संकट आ जाएगा, भूजल स्तर गिर जाएगा, और खेत-खलिहान उजड़ जाएंगे. ग्रामीणों का कहना है, “हम अपने बच्चों का भविष्य उजड़ते हुए नहीं देख सकते. चाहे कितनी भी कोशिशें हों, हम अपनी मातृभूमि की रक्षा करेंगे.”