Pandit Pradeep Mishra News: कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा (Pandit Pradeep Mishra) ने मंदिरों में प्रवेश के लिए ड्रेस कोड (Dress Cide for Hindu Temple) बनाए जाने का विरोध किया है. उन्होंने इसे सनातन धर्म को तोड़ने की साजिश बताया है. पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि यह विधर्मियों की नई चाल है. सनातन धर्म के एक-दो लोगों के कान भरने शुरू कर दिए. मंदिर में जाना है तो लड़के ऐसे कपड़े पहनेंगे, लड़कियां ऐसे कपड़े पहनेंगी. ऐसे कपड़े पहनकर मंदिर आएंगे,वैसे कपड़े पहनकर मंदिर आएंगे. पंडित मिश्र आजकल पुष्कर में ब्रह्म शिव पुराण की कथा सुना रहे हैं.


कहां कहां लागू हुआ है ड्रेस कोड


कुछ दिन पहले ही राजस्थान के उदयपुर के सबसे पुराने श्री जगदीश मंदिर में ड्रेस कोड लागू करने का पोस्टर लगाया गया था, मंदिर के बाहर लगाए गए पोस्ट में लिखा था, ''सभी भक्तों को सूचित किया जाता है कि श्री जगदीश मंदिर परिसर में शॉर्ट टी शर्ट, शॉर्ट जींस, बरमुडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट आदि पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.कृपया इस नियम का विशेष ध्यान रखें. ऐसा करने पर मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा.''


इस तरह के पोस्टर केवल उदयपुर के ही मंदिर में नहीं लगे हैं पिछले कुछ महीने के अंदर राजस्थान के कई और शहरों के मंदिरों में भी ड्रेस कोड से संबंधित पोस्टर लगाए गए हैं. दूसरे राज्यों में भी इस तरह की पाबंदी लगाई गई है. 


मंदिरों में ड्रेस कोड का नुकसान क्या होगा


पुष्कर के मेला ग्राउंड में चल रहे ब्रह्म शिव पुराण कथा में उन्होंने कहा, ''बेटा-बेटी मंदिर जाना धीरे-धीरे कम कर देंगे. बूढ़े-बूढ़े लोग ही मंदिर में दर्शन करने आएंगे. जवान-जवान लड़के-लड़कियां मंदिर के बाहर से ही कहेंगे- हम तो जींस पहने हैं. हम तो टी-शर्ट पहने हैं. हम मंदिर नहीं जा रहे. मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करना विधर्मियों की चाल है. युवा पीढ़ी को धीरे-धीरे धर्म से दूर किया जा रहा है.


उन्होंने कहा कि विधर्मी हिंदू धर्म की नई पीढ़ी को धर्म से विमुख करने का प्रयास कर रहे हैं. यदि भाषा, संस्कृति और कपड़ों के आधार पर मंदिर में प्रवेश पर पाबंदी लगी, तो नई पीढ़ी मंदिर दर्शन करने नहीं जाएगी और विधर्मियों की चाल कामयाब हो जाएगी. फिर इन्हें दूसरे धर्म में भेज दिया जाएगा. हमारे व्यक्ति ही हमारे होकर भी विधर्मियों की चाल को नहीं समझ पाते.भगवान कपड़े से कभी प्रसन्न नहीं हुए. मंदिर में भगवान श्रद्धा और भाव देखकर अपने भक्तों से प्रसन्न होते हैं. कपड़े तो रावण ने भी बदले थे. रावण ने संत का चोला पहन कर उसे बदनाम कर दिया और इतना बदनाम किया कि कुंभ के मेले में सबसे पहले संत के चोले को धोया जाता है, फिर भी वो साफ नहीं हो पाता.


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