Rajasthan News:  झीलों की नगरी उदयपुर के लिए आज खास दिन है, क्योंकि यहां 36 ऑटो में सवार होकर 108 एनआरआई उदयपुर पहुंचे. खास बात यह है कि उनके 38 महिलाएं भी है. यह सभी 4 देश इंग्लैंड, अमेरिका, केन्या और ऑस्ट्रेलिया में कई वर्षो से रह रहे हैं. उदयपुर पहुंचने के बाद पर्यटन स्थल प्रताप गौरव केंद्र पहुंचे और फिर समोर बाग में ठहरे. अब सवाल उठता है आखिर यह ऑटो से क्यों आए और भारत भ्रमण के पीछे इनका मकसद क्या है, आइए जानते हैं.


14 दिनों में 2 हजार किमी की यात्रा करेंगे

 

चार देशों से आए 108 एनआरआई की 14 दिन की यात्रा हैं जिसमें वह भारत के अलग अलग क्षेत्रों में पहुंच रहे हैं. 14 दिन में वह 2000 किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय करेंगे. अभी इनके 2 दिन ही बचे हैं और गुजरात में इनकी यात्रा का समापन होगा. एक दिन में यह ऑटो से औसत 200 किलोमीटर की यात्रा कर रहे हैं. खास बात यह है कि महिलाएं भी यह ऑटो चलाती है. एबीपी ने महिलाओं से बात की तो उन्होंने बताया कि एक ऑटो में 4 सदस्य रहे हैं. भारत में आते ही 1 दिन ऑटो चलाने की ट्रेनिंग ली. चारों सदस्य बारी बारी से ऑटो चलाते है. थकान तो होती है लेकिन एडवेंचर हैं. 

 

इस यात्रा के पीछे क्या मकसद है?

 

दरअसल यह एक एनजीओ सेवा इंटरनेशनल से जुड़कर इस टूर पर निकले हैं. सेवा यूके के जनरल सेक्रेटरी भरत जीवन ने एबीपी न्यूज को बताया कि वह यूके में रहते हैं. मध्य प्रदेश सतना में दिन दयाल रिसर्च इंस्टीट्यूट हैं. वहां एक हॉस्पिटल भी है जो 25 साल पुराना है और टूटा फूटा हो गया है. उन्होंने हमे बताया कि नई हॉस्पिटल बनाना है. फिर एक टूर प्लान किया जिसमें ऑटो से भारत भ्रमण की सोचा. फिर सेवा इंटरनेशनल जुड़े अलग अलग देशों के लोगों से संपर्क किया. 300 लोगों ने टूर के लिए हां की लेकिन हम 108 ही लेकर आए. इन्होंने अपने परिचितों, दोस्तो से संपर्क किया डोनेशन के लिए और हमने 5 करोड़ रुपए जोड़े. 

 

36 ऑटो खुद ने खरीदे और अब दान देकर जाएंगे

 

जिन ऑटो पर हम भ्रमण पर निकले इनको हमने खुद खरीदा है. हमारा यह टूर पूरा हो जाएगा उसके बाद गुजरात में कुछ परिवार है जो जरूरतमंद हैं, उन्हे यह ऑटो देकर जाएंगे ताकि वह अपना गुजारा कर सके. सेवा इंटरनेशनल दिव्यांग बच्चों के लिए दिव्य विद्यालय जव्हार पालघर महाराष्ट्र, सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित बच्चों के लिए संवेदना लातूर महाराष्ट्र, स्पेशल नीड वाले बच्चों के लिए अरुणोदय स्पेशल स्कूल गडक कर्नाटक, बोलने व सुनने में अक्षम बच्चों के उपचार के लिए कोकलिया पुणे, निराश्रित बच्चों के लिए समातोल फाउंडेशन ठाणे आदि सेवा प्रकल्पों में सेवा इंटरनेशनल सहयोग करता है.

 

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