Mukundra Hills Tiger Reserve: रणथंबोर से मुकुंदरा टाइगर रिजर्व (MukundraTiger Reserve) और रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व (Ramgarh Vishdhari Tiger Reserve) में  एक-एक बाघिन को शिफ्ट किया जाना प्रस्तावित है. इसके लिए पहले ही राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण से तकनीकी स्वीकृति मिल चुकी है, लेकिन अभी तक वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन की स्वीकृति नहीं मिलने से शिफ्टिंग प्रक्रिया पर ब्रेक लग गया है. हालांकि विभागीय अधिकारी जुलाई महीने में टाइगर के आने की उम्मीद जता रहे हैं.


शिफ्टिंग होने पर मुकुंदरा हिल्स में बाघिन का ठिकाना सेल्जर का सॉफ्ट एंक्लोजर होगा. रामगढ़ विषधारी के बजलिया वन क्षेत्र में बने पोर्टेबल एंक्लोजर में बाघिन को रखा जाएगा. एनटीसीए की सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के करीब 3 हफ्ते बाद एमओईएफसीसी से स्वीकृति मिलने की संभावना रहती है. ऐसे में जुलाई महीने में बाघिन लाने की परमिशन मिलने की उम्मीद की जा सकती है. इस बीच मानसून के आगाज के साथ दोनों टाइगर रिजर्व में बाघिन दस्तक दे सकती हैं. इसके बाद दोनों ही टाइगर रिजर्व आबाद हो जाएंगे. 


सेल्जर के एंक्लोजर में छोड़ी जाएगी बाघिन
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के पूर्व मुख्य वन संरक्षक और फील्ड डायरेक्टर शारदा प्रताप सिंह ने बताया कि एनटीसीए ने सेल्जर वन क्षेत्र स्थित सॉफ्ट एंक्लोजर को ही अनुमोदित किया है. ऐसे में बाघिन को इसी सॉफ्ट एंक्लोजर में शिफ्ट किया जाएगा. एंक्लोजर के रखरखाव से संबंधित सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. वहीं मुकंदरा के साथ रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में भी एक बाघिन लाना प्रस्तावित है, जिसे जैतपुर रेंज के बजलिया वन क्षेत्र में 34.50 लाख की लागत से बन रहे पोर्टेबल एंक्लोजर में छोड़ा जाएगा. 


एंक्लोजर को पूरी तरह से करना होता है चेक
पूर्व सीसीएफ एसपी सिंह ने बताया कि बाघिन के आने से पहले कई तैयारियां करनी होती है. जब कोई टाइगर आता है, तो सबसे पहले एंक्लोजर चेक किया जाता है. नियमित साफ-सफाई की मॉनिटरिंग की जाती है. वहां पानी की व्यवस्था करनी होती है. साथ ही एंक्लोजर पर ग्रीन शेड लगानी होती है, ताकि टाइगर को अंदर से बाहर और बाहर वालों को अंदर टाइगर ना दिखे. प्रे बेस का भी माकूल बंदोबस्त किया जाता है.


2 महीने से अकेला घूमर रहा बाघ एमटी 5
लाइटनिंग के नाम से मशहूर बाघ एमटी 4 की मुकुंदरा में गत 4 मई को मौत हो गई थी. इसके बाद से ही बाघ एमटी-5 जंगल में अकेला ही घूम रहा है. ज्यादा समय अकेले रहने से उसके मुकुंदरा की सीमा से बाहर निकल जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बाघिन लान में देरी होती है, तो बाग के भटकने की संभावना अधिक बढ़ जाती है. तीन साल वर्ष पूर्व भी एमटी-1 की जोड़ीदार बाघिन की मौत के बाद वह मुकुंदरा से गायब हो गया जो आज तक लापता है. 


ऐसे में अधिकारियों को वक्त गवाए बिना रणथंबोर से बाघिन लाने के प्रयास किया जाना चाहिए. शारदा प्रताप सिंह पूर्व मुख्य वन संरक्षक और फील्ड डायरेक्टर मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के अनुसार मुकुंदरा में बाघिन शिफ्टिंग को लेकर फिलहाल एनटीसीए की तकनीकी स्वीकृति ही मिली है. अभी वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से स्वीकृति मिलना शेष है.  मुकुंदरा में बाघिन आने पर सेंजर वन क्षेत्र के सॉफ्ट एंक्लोजर और रामगढ़ के जैतपुर रेंज में पोर्टेबल एंक्लोजर में शिफ्ट किया जाएगा. 


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