Kota News Today: कोटा बूंदी लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी प्रहलाद गुंजल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने बताया कि 20 मई को देर शाम मुखबीर से सूचना मिली कि गांव बावडीखेड़ा, कोलाना में अवैध माईनिंग हो रही है. इस पर पुलिस और वन विभाग की संयुक्त टीम ने देर रात्रि मौके पर कार्रवाई के लिए पहुंची. मौके पर अवैध माईनिंग से संबंधित हालात मिले, लेकिन देर रात्रि होने के कारण मौके पर जमीन की स्थिति स्पष्ट न होने से कार्यवाही को यथास्थिति रखी गई.


यूआईटी ने पुलिस में दर्ज कराई शिकायत
पुलिस के मुताबिक, सुबह होने पर राजस्व विभाग, वन विभाग, यूआईटी, माईनिंग और पुलिस की टीम दोबारा मौके पर पहुंचीं. जहां पाया गया कि यूआईटी विभाग की जमीन पर पत्थरों से कब्जा करके मौके से पत्थर और मिटटी निकाली जा रही थी. जिस पर माईनिंग विभाग ने कार्रवाई करते हुए 1 एलएनटी मशीन, 1 डंपर, 955 टन पत्थर जब्त किया गया. यूआईटी के तहसीलदार ने थाना रानपुर में प्रहलाद गुंजल और लोकेश गुंजल के विरुद्ध रिपोर्ट कराई.


प्रहलाद गुंजल ने प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप
इस मामले को लेकर प्रहलाद गुंजल ने प्रेसवार्ता कर प्रशासन और बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला. प्रहलाद गुंजल ने कहा, "जिला प्रशासन और पुलिस ने सरकार के दबाव में द्वेषता पूर्ण कार्रवाई पर आमादा है." उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा नियमानुसार संचालित क्रैशर पर प्रशासन गलत तरीके से कार्रवाई की मंशा बना रहा है. 


प्रहलाद गुंजल ने कहा, "सरकार और प्रशासन बौखलाया हुआ है." उन्होंने एक पत्र दिखाते हुए कहा, "17 तारीख को आईजी कोटा ने एक बैठक की और कहा की बिंदु संख्या दो, जहां बावड़ीखेड़ा में एक क्रेशर अवैध रूप से संचालित हो रहा है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए. इस पर कलेक्टर की तरफ से 22 तारीख को सात विभागों के साथ जिनमें पुलिस, डीएफओ, यूआईटी, एसडीएम, परिवहन, पॉल्यूशन और माइनिंग की जिम्मेदारी दी गई. यह पत्र मुझे व्यक्तिगत रूप से नहीं मिला है."


गुंजल ने दिए क्रेशर संचालक के दस्तावेज
गुंजल ने क्रेशर संचालक के दस्तावेज उपलब्ध करवाते हुए कहा, "जिस भूमि पर क्रेशर संचालित हो रहा है, वह राजाराम भील की जमीन थी. क्रेशर के लिए कन्वर्जन 9 जुलाई 2010 को हो गया था. क्रेशर के लिए कन्वर्जन होता है तो फॉरेस्ट, वाइल्डलाइफ, रेवेन्यू और एनवायरमेंट सबकी एनओसी के बाद ही ऐसा होता है."


कांग्रेस नेता ने कहा कि "16 मई 2011 को राजाराम भील को सेल परमिशन भी मिल गई थी. उसके बाद उस जमीन की रजिस्ट्री 23 अक्टूबर 2011 को हमारे नाम हो गई. 2 साल के अंदर क्रेशर शुरू नहीं कर पाने के चलते हमने अवधि विस्तार की स्वीकृति 30 जनवरी 2015 को नियमानुसार ली." उन्होंने बताया, "क्रेशर का काम 2016 से नियमित संचालित किया जा रहा है. जिसकी पर्यावरण विभाग से स्वीकृति भी 30 जून 2028 तक है. इसके अलावा और किसी भी परमिशन की आवश्यकता नहीं होती है."


कांग्रेस नेता ने प्रशासन को दी चुनौती
कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल ने कहा कि "हमारा क्रेशर नियमानुसार संचालित हो रहा है. प्रशासन कोई गलत कार्रवाई करेगा तो उसका गंभीर परिणाम होगा." उन्होंने कहा, "नियमों के दायरे में प्रशासन पैमाइश करना चाहता है, तो नाप ले, कोई नियम विरुद्ध नहीं है. खातेदार से कन्वर्जन शुदा प्लाट खरीदा है. एनवायरमेंट क्लीयरेंस 2028 तक का है और मेरी जमीन के चारों तरफ खातेदार हैं. वहां एक इंच जमीन भी ना तो फॉरेस्ट की है ना ही सिवायचक है."


4 तारीख बाद बड़ा खुलासा करने का ऐलान
प्रहलाद गुंजल ने कहा, "4 तारीख के बाद किस फैक्ट्री में कितने बीघा जंगलात है. काली सिंध ढिबरी, पलायथा, गड़ेपान, मोती कुआं में कितने अवैध क्रेशर संचालित हो रहे हैं. जिनका मैं खुलासा करूंगा."  उन्होंने कहा, "4 तारीख के बाद आरपार की लड़ाई लडूंगा. पूरा राजस्थान जानता है अवैध गतिविधि करने वाला शासन के खिलाफ बोल नहीं सकता. मेरा कोई अवैध काम नहीं, प्रशासन आए और नियमानुसार जांच पड़ताल कर ले."


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