Kota Wheat Crop: कोटा संभाग और आसपास के क्षेत्र में बड़ी मात्रा में गेहूं की उपज हुई है, ऐसे में इस बार किसानों के चेहरे पर खुशी है. एशिया की सबसे बड़ी कृषि उपजमंडी में इन दिनों भारी मात्रा में गेहूं की आवक हो रही है. इस बार मंडी में ज्यादा दाम रहने वाले हैं या कांटों पर सरकारी एमएसपी (Government MSP) पर खरीद होगी इसको लेकर विरोधाभास सामने आ रहा है. गेहूं के दाम पहले आसमान छू गए थे और अब उतर गए हैं. ऐसे में किसान भी सोच में पड़ गए हैं कि दाम अधिक रहने वाले हैं या कम होंगे.


व्यापारियों के मुताबिक इस बार मंडी में दाम कम रहने के चलते किसान जमकर खरीद केंद्रों पर गेहूं बेचेंगे, जबकि एफसीआई (FCI) और राजफेड (Rajasthan State Cooperative Marketing Federation) के अधिकारियों का कहना है कि मंडी में ज्यादा दाम होने के चलते किसान तौल केंद्र पर रुचि नहीं दिखा रहे हैं. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार ने तौल कांटों पर खरीद के आदेश जारी कर दिए थे. गेहूं की खरीद हाड़ौती संभाग में 20 मार्च से होना निश्चित किया गया, लेकिन मार्च के अंत या अप्रैल के प्रथम सप्ताह से खरीद शुरू होने की उम्मीद है.


सिर्फ 100 किसानों ने ही कराया सरकारी खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन 


सरकारी खरीद के लिए महज 100 के आसपास किसानों ने ही इसके लिए रजिस्ट्रेशन 57 केंद्रों पर करवाया है. हालांकि इस बार सरकारी तौल कांटों पर खरीद को लेकर व्यापारियों और अधिकारियों का अलग अलग नजरिया है. व्यापारियों के मुताबिक इस बार मंडी में दाम कम रहने के चलते किसान जमकर खरीद केंद्रों पर गेहूं बेचेंगे, जबकि एफसीआई और राजफेड के अधिकारियों का कहना है कि मंडी में ज्यादा दाम मिलने के चलते किसान तौल केंद्र पर रुचि नहीं दिखा रहे है. सरकार का एमएसपी मूल्य 2125 रुपए हैं, जबकी मंडी में इससे अधिक दाम मिलने की संभावना है.


इस बार 5 लाख 13 हजार 615 हैक्टेयर में बुवाई हुई है, जिसमें  24 लाख 51 हजार 388 मेट्रिक टन उत्पादन की उम्मीद है. जबकी चना 16 लाख 4 हजार 194 हैक्टेयर में लगाया गया और 32 लाख 2 हजार 660 मैट्रिक टन उत्पादन की उम्मीद है. चने का समर्थन मूल्य 5 हजार 335 रुपए है. वहीं सरसों की बात करें तो 3 लाख 51 हजार 698 हैक्टेयर में सरसों की बुवाई हुई थी जबकि 7 लाख 30हजार 790 मैट्रिक टन उत्पादन की उम्मीद है. सरसों का समर्थन मूल्य 5 हजार 450 रुपए है.


खरीद केंद्रों के लिए नहीं हुए टेंडर
कोटा संभाग में 20 मार्च  से गेहूं की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होनी थी जो नहीं हो सकी. एमएसपी पर खरीद के लिए 57 केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के 25, राजफैड के 21 और तिलम संघ के 11 है. राजफेड के पास आदेश आते ही खरीद शुरू कर दी जाएगी. फिलहाल टेंडर नहीं हुए हैं. ऐसे में 1 अप्रैल के बाद खरीद शुरू की जा सकती है. हालांकी इस बार किसान सरकारी कांटों पर तुलाई के मूड में नहीं हैं क्योंकि मंडी में ही भाव अधिक मिलने की संभावना जताई जा रही है, जिसके चलते किसानों ने नाम मात्रा का रजिस्टेशन कराया है.
 
सरकार भी बड़ी मात्रा में खरीदेगी गेहूं
मंडी व्यापारी और मंडी अध्यक्ष अविनाश राठी ने बताया कि इस बार सरकार भी बड़ी मात्रा में गेहूं की खरीद करेगी. गेहूं के दाम पर कंट्रोल के लिए ही सरकार ने दक्षिण भाग में भी गेहूं का अपना स्टॉक जारी कर दिया है. वर्तमान में भी करीब 30 लाख टन गेहूं सरकार ने निकाला है और 2023 तक यह एक करोड़ टन तक पहुंचाने का लक्ष्य है. राठी ने यह भी बताया कि पूरे विश्व में इस बार गेहूं की कमी है, लेकिन भारत में गेहूं की उपज बीते सालों से ज्यादा है.


यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण बड़ी मात्रा में हुआ था गेहूं एक्सपोर्ट
कोटा की मंडी में देशभर के व्यापारी और किसान आते हैं. यहां अच्छे दाम मिलने के साथ हर तरह की सुविधाएं हैं. पारदर्शिता के साथ व्यापारी सुरक्षित भी हैं. कोटा सीड्स एंड ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन (Kota Seeds And Grain Merchants Association) के अध्यक्ष राठी का कहना है कि भारत सरकार के पास बीते 25 सालों में सबसे कम स्टॉक रहा है. रूस यूक्रेन युद्ध के चलते एक्सपोर्ट बड़ी मात्रा में हो गया था. जिससे लगा था कि बाद में भारत में गेहूं की कमी हो सकती है और ऐसा ही हुआ. यही वजह है कि इस साल जनवरी में दाम काफी ऊंचे चले गए थे.


भारत सरकार ने बीते साल ही मई में एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था. इसके बावजूद भी कुछ कमी हो गई थी. दावा किया जा रहा है कि भारत सरकार पूरी ताकत से गेहूं खरीद करेगी. 


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