पिण्डवाड़ा क्षेत्र में प्रस्तावित मेसर्स कमलेश मेटाकास्ट प्राइवेट लिमिटेड की खनन परियोजना के विरोध में अब सर्व समाज खुलकर मैदान में उतर आया है. स्वरूपगंज कस्बे के देवासी समाज धर्मशाला में 36 कौमों की विशेष महापंचायत आयोजित हुई, जिसमें सरकार को एक महीने का स्पष्ट अल्टीमेटम दिया गया.

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महापंचायत में साफ कहा गया कि अगर तय समय में खनन परियोजना को निरस्त नहीं किया गया तो 28 जनवरी 2026 से बड़े स्तर पर अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू किया जाएगा.

महापंचायत से पहले स्वरूपगंज के बजरंग चौराहे पर राष्ट्रीय पशुपालन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह रायका का देवासी समाज और सर्व समाज की ओर से भव्य स्वागत किया गया. इसके बाद कस्बे में विशाल रैली निकाली गई.

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रैली में हजारों लोग शामिल हुए और खनन परियोजना के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. लोगों ने सरकार से लगभग 800 हेक्टेयर, यानी करीब 3200 बीघा भूमि पर प्रस्तावित इस खनन परियोजना को तुरंत रद्द करने की मांग की.

खनन से चारागाह, खेती और पर्यावरण पर खतरा

महापंचायत में कहा कि यह खनन परियोजना पूरे क्षेत्र के लिए विनाशकारी साबित होगी. चारागाह भूमि खत्म होने से पशुपालकों की आजीविका पर सीधा असर पड़ेगा.

खेती की जमीन बंजर होने का खतरा रहेगा और खनन से उड़ने वाली धूल व प्रदूषण से लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ेगा. वक्ताओं ने कहा कि अरावली पर्वतमाला को बचाने के लिए अब एकजुट होकर संघर्ष करना जरूरी हो गया है.

समाजसेवी भरत सराधना ने कहा कि इस परियोजना को निरस्त कराने के लिए हर स्तर पर सहयोग दिया जाएगा और इसके दुष्परिणामों के बारे में आमजन को लगातार जागरूक किया जाएगा.

राकेश रावल ने देवासी समाज की ओर से आंदोलन को पूरा समर्थन देने का भरोसा दिलाया. वहीं भीखु सिंह देवासी ने लोगों से अपील की कि वे एकजुट रहकर इस जन आंदोलन को सफल बनाएं.

28 जनवरी से एनएच-27 के पास आंदोलन

राष्ट्रीय पशुपालन संघ के अध्यक्ष लाल सिंह रायका ने महापंचायत के अंत में आंदोलन की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार को एक महीने का समय दिया जा रहा है. अगर इस अवधि में खनन परियोजना निरस्त नहीं हुई तो 28 जनवरी 2026 से सरगामाता मंदिर के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-27 के नजदीक अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू किया जाएगा. यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक परियोजना पूरी तरह रद्द नहीं हो जाती.

पशुपालकों और किसानों पर सीधा असर

लाल सिंह रायका ने कहा कि खनन से पशुपालकों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा. चारागाह खत्म होने से पशुओं के चारे की भारी समस्या खड़ी हो जाएगी. साथ ही खनन से निकलने वाली धूल और प्रदूषण से खेती प्रभावित होगी और क्षेत्र में पर्यावरण असंतुलन पैदा होगा.

एडवोकेट तुषार पुरोहित ने परियोजना के कानूनी और पर्यावरणीय पहलुओं की जानकारी देते हुए कहा कि यह खनन नियमों और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि परियोजना निरस्त होने तक वे जनता के साथ मजबूती से खड़े रहेंगे.

संघर्ष समिति ने जताया आभार

खनन संघर्ष समिति ने महापंचायत में मौजूद सभी समाजों, संगठनों और आम लोगों का आभार जताया. समिति ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ एक गांव या समाज की नहीं, बल्कि पूरे सिरोही जिले और अरावली के भविष्य की है. महापंचायत के समापन पर संदेश दिया गया कि एकता से ही अरावली बचेगी और खनन परियोजनाएं निरस्त होंगी.