Jodhpur News: राजस्थान के जोधपुर शहर के आसपास वन विभाग की जमीनों पर बढ़ते अवैध कॉलोनियों और अतिक्रमणकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट ने स्थानीय प्रशासन को एक तरह से सर्जिकल स्ट्राइक के आदेश दिए हैं. प्रशासन ने भी अदालत के रुख को भांपते हुए सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी पूरी कर ली है राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश कुलदीप माथुर की खंडपीठ ने जोधपुर शहर के आसपास फॉरेस्ट विभाग की जमीनों पर अतिक्रमण कर बसाई जा रही अवैध कॉलोनियों को लेकर गंभीर रुख अख्तियार कर लिया है.


हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले में समाचार पत्रों में आम सूचना देकर तीन दिन में पानी व बिजली के कनेक्शन काटने के साथ अतिक्रमण हटाने के निर्देश संबंधित विभाग को दिए हैं. साथ ही हाईकोर्ट ने अधीनस्थ अदालतों को भी निर्देश दिए हैं कि वो इनसे संबंधित किसी प्रकार के मामले पर सुनवाई नहीं करें.


अदालती आदेश के खिलाफ महिलाओं को बनाया जा रहा ढाल 
याचिकाकर्ता रामजी व्यास राजपुरोहित की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान एएजी सुनील बेनीवाल और एएजी संदीप शाह ने रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि भूतेश्वर और बेरीगंगा में फॉरेस्ट की जमीन से काफी संख्या में अतिक्रमण हटा लिया गया है. अतिक्रमण हटाने के दौरान सम्बंधित अधिकारियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. अतिक्रमणकारी बड़ी संख्या में महिलाओं को आगे कर अतिक्रमण हटाने के प्रयासों में बाधा डाल रहे हैं. 


अतिक्रमणकारियों ने डिफेंस की पाइप लाइन पर भी डाला डाका 
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने कहा कि अदालत से मांग की है कि फॉरेस्ट की जमीन पर अतिक्रमणकारियों द्वारा करीब 22,000 अवैध बिजली कनेक्शन लगवाये जा चुके हैं. इसके साथ पानी की पाइप लाइन भी है. बिजली और पानी के कनेक्शन काट दिए जाएं. इन कॉलोनियों में रहने वाले डिफेंस की पानी की पाइप लाइन का उपयोग पानी के लिए कर रहे हैं.


इस पर कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए निर्देश दिए हैं कि समाचार पत्रों के जरिए सूचना देकर सभी अवैध बिजली और पानी कनेक्शन हटाए जाएं. कोर्ट ने इसके साथ ही अधीनस्थ अदालतों को भी निर्देश दिए हैं कि विचाराधीन मामले में इससे जुडे किसी भी मामले पर सुनवाई न करें. अदालत ने अपने आदेश में वन क्षेत्र का हवाला देते हुए उन स्थानों का भी उल्लेख किया है जहां कारवाई की जानी है.


इनमें वन भूमि बेरीगंगा, भूतेश्वर, माचिया, चांदना, भाखर, मोतीसर, लालसागर और देवकुंड का नाम शामिल है. हाईकोर्ट ने इस मसले पर सुनवाई के अगली तारीख 19 दिसंबर मुकर्रर की है. बता दें कि वन भूमि पर बढ़ते अतिक्रमण को लेकर कुछ समय पहले एबीपी न्यूज में एक खबर दिखाई थी. 


वन भूमि पर बस चुकी हैं 36 बस्तियां 
दरअसल, आबादी बढ़ने, शहरी विकास तथा वन भूमि का सीमांकन नहीं होने से असामाजिक तत्वों को वन भूमि अतिक्रमित करने का बढ़ावा मिला. इस संबंध में राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 91 के तहत 1868 प्रकरण दर्ज किए गए हैं. जिनमें 1786 मामलों में अतिक्रमण हटाने के आदेश पारित किए जा चुके हैं. जोधपुर शहर के वन खंड का क्षेत्रफल 7837.36 हेक्टेयर है. इनमें से 5902.2 हेक्टेयर भूमि वन भूमि के रूप में दर्ज है, लेकिन शेष भूमि राजस्व रिकॉर्ड में वन भूमि दर्ज नहीं हो पाई है. वन भूमि पर कुल 36 से अधिक कच्ची बस्तियां बस चुकी हैं.


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