Jaipur News :  जयपुर लिटरेच फेस्टिवल (jaipur literature festival 2023 ) के तीसरे दिन ‘एक हिंदी अनेक हिंदी सत्र’ में प्रतिष्ठित लेखकों अनामिका, नंदभारद्वाज, पुष्पेश पंत, गीतांजलि श्री और यतीन्द्र मिश्र ने हिंदी के माध्यम से भाषा और साहित्य के समकालीन और शास्त्रीय स्वरूप की बात कही. वहीं एक सत्र ‘लता सुर गाथा’ में ये बात सच हो गई कि महान गायिका लता मंगेशकर के सुरों के सफर को आधार बनाकर, यतीन्द्र मिश्र द्वारा लिखी गई इस किताब पर लेखक और लेखिका, अनुवादक, पटकथाकार अनु सिंह चौधरी बात करने वाले थे.


गुलजार को सुनने के लिए युवाओं की दिखी भीड़


दरबार हॉल में आयोजित इस सत्र में लता दीदी के लिए सदाबहार लिखने वाले, देश के चहेते शायर गुलजार साहब को सुनने के लिए युवाओं की भीड़ दिखी.  ऐसे सरप्राइज ऑन-ग्राउंड ऑडियंस के लिए किसी तोहफे से कम नहीं होते.


गुलजार ने कहा कि हमें बिना बताए ही वो हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी का हिस्सा बन गई थीं. जीवन से जुड़ी हर अहम् रस्म पर उनका गाना है और बिना जाने ही आप सुबह से शाम तक किसी न किसी माध्यम से उनकी ही आवाज़ सुनते हैं. एक बार मैंने उनसे कहा था कि मुझे अफसोस उन पीढ़ियों का है, जो आपकी आवाज सुने बिना ही गुजर गईं.


हिंदी जिस क्षेत्र में जाती है, वहां ढल जाती है


राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार नंद भारद्वाज ने भाषा के संदर्भ में कहा कि हिंदी जिस क्षेत्र में जाती है, वहां ढल जाती है और उस क्षेत्र के बहुत सारे भावों और शब्दों को अपने में समाहित कर अपना विस्तार बढ़ाती है.”


पुष्पेश पंत ने गीतांजलि श्री की भाषा के सन्दर्भ में बताया कि गीतांजलि जो भाषा के साथ करती हैं, वो भाषा के आयाम को विस्तार देना है. कल ही एक सत्र में किसी ने कहा था ये फेस्टिवल एक जादू है, यहां हर समय सेल्यूलाइड पर एक फिल्म चल रही है और आप इसका हिस्सा हैं.


पुनर्जन्म जैसे विषयों पर खूब लिखा गया


‘सेवेन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ सत्र में बुकर प्राइज विजेता, श्रीलंकाई लेखक शेहान करुनातिलक से लेखिका नंदिनी नायर ने बात की. शेहान का उपन्यास, ‘सेवेन मून्स ऑफ़ माली अल्मेडा’ दानव, प्रेत और पुनर्जन्म जैसे विषयों से प्रेरित होकर लिखा गया है. इस पर उन्होंने कहा कि और फिर मैंने सोचा. अगर मैं भूत के नजरिये से लिखूं तो श्रीलंका के मृत लोग मुझसे बात करने लगें तो ये एक भूतिया कहानी के लिए बढ़िया प्लॉट लगा. बुकर प्राइज मिलना किस्मत की बात थी. ये ऐसे ही था जैसे लूडो के डाइस में तुक्के से छह नम्बर आ जाता है. लॉटरी लगने पर आप खुश होते हो और नहीं लगने पर कोशिश करते हो कि ज्यादा दुखी न नजर आओगे.


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