जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में आग लगने और इसकी वजह से आईसीयू में भर्ती कई मरीजों की मौत की घटना के बाद राजस्थान का सरकारी अमला हरकत में आया है. अस्पतालों में फायर सेफ्टी को लेकर नई गाइडलाइन जारी की गई और साथ ही कुछ पुराने नियमों में बदलाव भी किया गया है.
नए फैसले के तहत राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में अब फायरमैन तैनात किए जाएंगे. सभी सरकारी अस्पताल, जहां पर मरीज भर्ती किए जाते हैं वहां तीन शिफ्ट में फायरमैन ड्यूटी पर रहेंगे. हर शिफ्ट में कम से कम एक फायरमैन ड्यूटी करेगा.
अस्पतालों में फायर सेफ्टी हेतु नई गाइडलाइन जारी
फायरमैन का काम आग लगने पर बुझाना, उपकरणों के नियमित तौर पर जांच करना, लोगों को प्रशिक्षित व जागरूक करना और तैयारियों को परखने का होगा. इसके साथ ही अस्पतालों में तैनात सभी मेडिकल व दूसरे स्टाफ को फायर सेफ्टी को लेकर ट्रेनिंग दी जाएगी. उन्हें इस बात का प्रशिक्षण दिया जाएगा कि आग लगने या कोई दूसरी इमरजेंसी होने पर किस तरह से खुद को सुरक्षित रखना है और कैसे मरीजों की जिंदगी को बचाना है. इसके साथ ही आग पर कैसे काबू पाकर उसे बुझाना है और उसे काबू में करना है.
क्या है नई गाइडलाइन
नई गाइडलाइन के तहत अब आईसीयू वार्ड में किसी भी तरह के कागज और सरकारी फाइल नहीं रखी जाएंगी, क्योंकि इनसे आग तेजी से फैलती है. इसके साथ ही आईसीयू व दूसरे वार्ड में प्लास्टिक के कोई सामान और कोई ज्वलनशील पदार्थ भी नहीं रखा जाएगा. इस फैसले पर सख्ती से अमल भी कराया जाएगा. आईसीयू वह दूसरे वार्ड में बाहर निकालने के कई गेट रखे जाएंगे. जहां कांच की खिड़कियां होंगी, वहां हैमर यानी हथौड़ा भी रखा जाएगा, ताकि इमरजेंसी पढ़ने पर इसके जरिए कांच को तोड़ा जा सकेगा.
इसके साथ ही सभी सरकारी अस्पतालों में हर थोड़े दिनों में फायर ऑडिट कराया जाएगा. अस्पतालों को अब हर कुछ महीनो में फायर डिपार्टमेंट से एनओसी लेनी होगी. फायर डिपार्टमेंट को हर बार स्पॉट पर जाकर इंतजामों को परखने के बाद ही NOC देनी होगी. इसके अलावा सभी सरकारी अस्पतालों में अलग-अलग डिपार्टमेंट के लोगों की ज्वाइंट कमेटी भी गठित की जाएगी. यह कमेटी समय-समय पर तैयारियों को देखकर अपनी रिपोर्ट देगी.
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कल ही यह जानकारी दी थी कि राज्य के कुछ चुनिंदा बड़े अस्पतालों में सेफ्टी - सिक्योरिटी और फायर अरेंजमेंट की जांच और मॉनिटरिंग CISF सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स से कराई जाएगी. CISF बिल्कुल उसी तरह से जांच और मॉनिटरिंग करेगी जिस तरह के काम वह देश के तमाम एयरपोर्ट्स पर करती है. प्रयोग सफल होने पर इसे दूसरी जगहों पर भी बढ़ाया जाएगा.
नहीं कराया जाता नियमों का पालन
हालांकि बड़ा सवाल यह है कि इस तरह के कदम पहले क्यों नहीं उठाए गए. अगर पहले ही कदम उठा लिए गए होते तो शायद ट्रॉमा सेंटर में आग न लगती और कई मरीजों की जिंदगी ना जाती. दूसरा सवाल यह है कि अस्पतालों में सुरक्षा को लेकर पहले ही तमाम नियम बने हुए हैं, लेकिन उन नियमों का पालन नहीं कराया जाता. ऐसे में इस नई गाइडलाइन पर किस तरह से अमल कराया जाएगा.