Jaipur News: जयपुर ब्लास्ट केस (Jaipur Blast) के चार आरोपियों की फांसी की सजा पर लगी रोक बरकरार रहेगी. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाई कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमें चारों आरोपियों की फांसी की सजा को रद्द करते हुए उन्हें मामले में बरी कर दिया गया था. सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की एसएलपी को मंजूरी देते हुए यह फैसला सुनाया है. साथ ही मामले में दोषमुक्त किए गए आरोपी मोहम्मद सैफ और सैफुर्रहमान के नोटिस तामील करवाने को कहा है. 


जयपुर में 2008 को आठ जगहों पर सीरियल ब्लास्ट हुए थे जिसमें 80 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट ने इस आदेश में खामियां पाई थीं और फिर उन चारों को दोषमुक्त करार दे दिया गया था. इसी आदेश के खिलाफ पीड़ित और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. 


मामले में सुनवाई के लिए बनेगी तीन जजों की बेंच
उधर, जस्टिस अभय एस ओका और राजेश बिंदल की खंडपीठ ने राज्य सरकार की एसएलपी पर सुनवाई को मंजूरी दे दी. अदालत ने निचली अदालत को निर्देश दिया कहा है कि वह मामले का रिकॉर्ड पेश करे. वहीं, रिकॉर्ड पेश करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ किया है कि यह मामला डेथ रेफरेंस से जुड़ा है और ऐसे में इसे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने ही रिकॉर्ड पेश किए जाएं ताकि मामले पर सुनवाई के लिए तीन जजों की बेंच का गठन किया जा सके.


सुप्रीम कोर्ट ने जमानत के लिए रखी यह शर्त
चूंकि चारों आरोपी दोषमुक्त करार दिए जा चुके हैं तो ऐसी परिस्थिति में जमानत मिलने का रास्ता साफ हो गया है. हालांकि कुछ शर्तों के साथ उन्हें बेल मिलेगी. बेल की पहली शर्त यह है कि वे किसी अन्य मामले में वांछित न हों और न ही उनके खिलाफ कोई सुनवाई हो रही हो. दूसरी शर्त यह रखी गई है कि आरोपियों को अपना पासपोर्ट राज्य सरकार के पास सरेंडर करना होगा. तीसरी शर्त के तहत आरोपियों को जमानत मिलने के बाद हर सुबह 10 से 12 बजे एटीएस के पास उपस्थित होना होगा. वहीं, चौथी शर्त के अनुसार वे बिना कोर्ट की अनुमति के देश से बाहर नहीं जा सकेंगे.


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