Eid Milad Un Nabi 2023 : ईद मिलाद उन नबी इस्लाम के महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है. इस्लाम धर्म की मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन इस्लाम के आखिरी पैगंबर मुहम्मद साहब का जन्म दुनियावी बुराइयों को खत्म करने के लिए हुआ था. ये त्यौहार इस्लामिक हिज्री कैलेंडर के मुताबिक, साल के तीसरे महीने यानि रबी रबी उल अव्वल की 12वीं तारीख को मनाया जाता है. इस दिन दुनिया भर के मुसलमान पैगंबर मुहम्मद की शिक्षाओं को याद करते हुए अल्लाह की इबादत करते हैं. इस त्यौहार के दिन का फैसला चांद देखने के बाद तय होता है. इस बार दुनिया भर में रबी उल अव्वल का चांद सितंबर माह की 18 तारीख को देखा गया था.


इस्लाम के धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक ईद मिलाद उन नबी के त्यौहार का विशेष महत्व है. ईद मिलाद उन नबी अरबी भाषा के तीन शब्दों से मिलकर बना है. अरबी में ईद का अर्थ है खुशी, जबकि मिलाद का अर्थ जन्म और नबी का अर्थ ईश्वर के संदेशवाहक से है. इस त्यौहार को दुनिया भर के मुसलमान पूरे जोशखरोश से मनाते हैं. पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन को नेकी और दूसरों के साथ रहमदिली और उनकी दी हुई शिक्षाओं के रुप में याद किया जाता है. ईद मिलाद उन नबी पर मुसलमान मस्जिदों में इकट्ठे होकर अल्लाह की इबादत में नमाज पढ़ते हैं और अपने गुनाहों की मुआफी मांगते हुए, पैगंबर मुहम्मद की दी हुई शिक्षाओं पर अमल करने का वादा करते हैं. 


कई दिनों पहले शुरू हो जाती है तैयारी
मुस्लिम समुदाय के लोग इस त्यौहार की तैयारी कई दिन पहले से शुरू कर देते हैं. इसकी तैयारी में घरों, मुहल्लों और बाजारों की साफ-सफाई कर उन्हें सजाया जाता है. इस दौरान घरों पर हरे रंग के इस्लामिक झंडा लगाया जाता है, जबकि कुछ लोग हाथों और पेशानी पर कुराआ आयतों वाली बैंड पहनते हैं. ईद मिलाद उन नबी को बच्चों में विशेष उत्साह देखने को मिलता है. बच्चे, युवा, बुजर्ग सब नए कपड़े पहनते हैं और लोगों में मिठाईयां बांटते हैं. बच्चों को उनके रिश्तेदार और मां-बाप ईदी यानि जेब खर्च देते हैं.


क्या करते हैं ईद मिलाद उन नबी पर?
इस दिन लोग मस्जिद जाते हैं और नमाज पढ़ने के साथ कुरआन की तिलावत करते हैं. इस दौरान वे अल्लाह से अपने गुनाहों की मुआफी मांगते हैं. पैंगबर मुहम्मद इंसानियत और रहमदिली में यकीन रखते थे, उन्होंने इस्लामिक मान्यताओं में यकीन रखने वालों को इसका सख्ती से पालन करने का आदेश दिया. यही वजह है कि इस दिन मुस्लमान अल्लाह की इबादत के साथ, गरीब और मजबूर लोगों की खूब मदद करते हैं. इस्लाम में खैरात (दान) करना और दूसरों की मदद करना सबसे सवाब (पुण्य) का काम माना जाता है. 


कब हुआ था पैगंबर मुहम्मद का जन्म
पैगंबर मुहम्मद को इस्लाम धर्म का आखिरी संदेशवाहक यानि अल्लाहा का आखिरी दूत मानते हैं. आपका जन्म 572 ई. में अरब के ऐतिहासिक शहर मक्का में हुआ था. इस्लामी कैलेंडरे के मुताबिक जिस दिन पैगंबर मुहम्मद का जन्म हुआ वह अरबी कैलेंडर के रबी उल अव्वल माह की 12वीं तारीख थी. हालांकि इस्लामिक कैलेंडर की शुरुआत पैगंबर मुहम्मद के मक्का छोड़कर मदीना के लिए जाने वाले दिन यानि हिजरत से हुई, इसलिए इस्लामिक कैलेंडर को हिज्री कैलेंडर कहा जाता है. 


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