राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सोमवार (22 दिसंबर) को कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने सरकार पर जमकर निशाना साधा है. वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार की ओर से ”मनरेगा योजना” का नाम परिवर्तन करने के विरोध में पूरे प्रदेश भर में कांग्रेस की ओर से विरोध प्रदर्शन किया गया.

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कई जिलों में कांग्रेस जिलाध्यक्षों की ओर से विरोध प्रदर्शन किया गया. जिसमें हजारों कांग्रेसी कार्यकर्ता शामिल हुए. PCC चीफ गोविंद सिंह डोटासरा सोमवार (22 दिसंबर) को अजमेर में हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए इस दौरान डोटासरा ने सरकार पर तीखा हमला बोला. 

नेता प्रतिपक्ष ने किया तीखा कटाक्ष

नेता प्रतिपक्ष ने तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कहा कि भगवान राम तो तभी खुश हैं, जब गरीबों को रोजगार मिल रहा है. अब नाम बदल कर उसमें राम का नाम लेने से मुंह में राम, बगल में छुरी वाली कहावत आप पर 100 फीसदी सत्य साबित होती है.

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योजना का नाम तो जी राम जी और मजदूरों के लिए काम का भी जी राम जी कर दिया आपने, अंत कर दिया है. उन्होंने केंद्र की बीजेपी सरकार पर मनरेगा (MNREGA) योजना को साजिश के तहत खत्म करने का कड़ा आरोप लगाया. 

PCC चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने किया विरोध

PCC चीफ ने कहा कि केंद्र सरकार कभी किसानों पर तो कभी मजदूरों पर जुल्म कर रही है कांग्रेस की सरकार के समय बनी योजना का नाम बदलकर क्या बताना चाहते हैं? ये खुद एक भी जन कल्याणकारी योजना नहीं बना सके और अब इन्हें महात्मा गांधी के नाम से बनी योजना से भी दिक्कत है.

उन्होंने कहा कि आज किस तरह किसान और मजदूर के हालात है किसानों को खाद और बीज के लिए लंबी लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है. यह तो अच्छा हुआ लोक सभा चुनाव में जनता ने इन्हें सबक सिखा दिया यदि उनको ज्यादा सीटें मिलती तो ये संविधान तक बदल देते. दलितों का आरक्षण खत्म हो जाता. उन्होंने आगे कहा कि आज सब जगह भय का माहौल है किसी को ED से डराया जाता है तो किसी को CBI से.

योजना का नाम बदलने पर बोले टीकाराम जूली 

योजना का नाम बदलने पर तीखा प्रहार करते हुए जूली ने कहा, "बीजेपी ने योजना का नाम बदलकर 'जी राम जी' (G RAM G) कर दिया है. महात्मा गांधी जी के अंतिम शब्द 'हे राम' थे, लेकिन बीजेपी इस नाम का राजनीतिक लाभ लेना चाहती है.

जूली ने योजना के नियमों में हुए बदलावों पर चिंता जताते हुए कहा कि जो पहले श्रमिकों का अधिकार था, राइट टू वर्क जो अब अधिकार नहीं रहा है . उन्होंने कहा कि पहले यह कानून था कि श्रमिक फॉर्म नंबर छह भरेंगे और पंद्रह दिन में रोजगार मिलेगा, यदि नहीं मिला तो अधिकारी के खाते से पैसा कटेगा और उनको बेरोजगारी भत्ता मिलेगा लेकिन आज अब वो बात नहीं रही.

योजना के फंडिंग पैटर्न में बदलाव मनरेगा को खत्म करने की साजिश

टीकाराम जूली ने मनरेगा के फंडिंग पैटर्न में बदलाव पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस सरकार की साजिश है मनरेगा को खत्म करने की क्योंकि राज्यों के पास इतना पैसा नहीं है कि अपना हिस्सा भी दे पाएंगे और केंद्र आधारित योजना हो जाए कि वह फंड तय करेंगे कि हमें मनरेगा में इतना पैसा देना है, वह उतना ही देंगे. उससे ऊपर का पैसा राज्यों को वहन करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि जब डिमांड आधारित योजना है, मजदूरों को काम चाहिए तो उतना काम देना पड़ेगा.

टीकाराम जूली ने दो महीने के प्रतिबंध पर उठाया सवाल

जूली ने सरकार की संवेदनहीनता पर सवाल उठाते हुए कहा कि फसल कटाई के सीजन में मनरेगा कार्य पर रोक लगाना तर्कहीन है. उन्होंने तर्क दिया कि कई पहाड़ी और बंजर इलाकों में खेती नहीं होती, ऐसे में वहां का मजदूर उन दो महीनों में अपने परिवार का पेट पालने के लिए कहां जाएगा? 

उन्होंने केंद्र सरकार की मंशा पर प्रहार करते हुए कहा कि बीजेपी को इस देश के गरीब और मजदूर से आखिर दिक्कत क्या है? पहले किसानों के खिलाफ काले कानून लाए गए, फिर लेबर कोड के जरिए श्रमिकों के हक छीने गए और अब मनरेगा मजदूरों पर प्रहार किया जा रहा है. 

नेता प्रतिपक्ष ने लोगों से की अपील

उन्होंने भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि गरीब के लिए सभी को खड़ा होना पड़ेगा तथा मनरेगा का इश्यू हजारों, लाखों, करोड़ों जो परिवार है उनके पेट पर लात मारने वाला है. इस दौरान सांसद रंजित रंजन ने भी प्रेस को सम्बोधित किया और कहा कि मोदी सरकार ने 'सुधार' के नाम पर लोकसभा में एक और बिल पास करके दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी स्कीम मनरेगा को खत्म कर दिया है.