अरावली के नियमों में बदलाव पर पर्यावरण विशेषज्ञ ने भी चिंता जताई है. विशेषज्ञ और उदयपुर यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर डॉ धीरज कुमार शर्मा ने इसे भविष्य के लिए बड़ा खतरा बताया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए इस फैसले पर कोर्ट से पुनर्विचार की गुहार लगाई है. सरकारों को भी कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की सलाह दी है.

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क्या बोले पर्यावरण विशेषज्ञ?

अरावली की पहाड़ियों को लेकर बदलाव के बाद विवाद खड़ा हो गया है. इस बीच पर्यावरण विशेषज्ञ ने कहा है कि इसका खामियाजा आने वाली पीढियों को भुगतना होगा. वहीं उन्होंने कहा कि इसका सबसे बड़ा असर पर्यावरण, तापमान, मौसम और खेती पर पड़ेगा.

उन्होंने बताया कि इस वजह से राजस्थान में अधिकतम तापमान में और बढ़ोतरी होगी. साथ ही गर्मी और सर्दी और ज्यादा पड़ेगी. कई क्षेत्रों में बारिश नहीं होगी और कुछ जगहों पर बहुत ज्यादा बारिश हो जाएगी. 

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रेगिस्तान का बढ़ेगा दायरा- पर्यावरण विशेषज्ञ

विशेषज्ञ के अनुसार इससे रेगिस्तान का दायरा भी बढ़ेगा और राजस्थान की हवा भी दिल्ली की तरह जहरीली हो जाएगी. इसके अलावा दिल्ली और एनसीआर के साथ ही कई दूसरे राज्यों में इसका प्रभाव पड़ेगा.

उनका कहना है कि अभी अवैध तरीके से खनन हो रहा है। नियमों में बदलाव के बाद वैध खनन होने से हालात बदतर हो जाएंगे. सरकार और कोर्ट को फैसला बदलने के लिए जन आंदोलन करना होगा.

आंदोलन करने के लिए कहा

उन्होंने कहा कि यह आंदोलन खुद का भविष्य सुरक्षित रखने और आने वाली पीढियों के लिए होगा. अरावली राजस्थान समेत देश के बड़े हिस्से के लिए लाइफ लाइन की तरह है. इस लाइफ लाइन के साथ कतई खिलवाड़ नहीं होना चाहिए.

खनन के पट्टों की मंजूरी के लिए सरकारे नियम में बदलाव करा रही हैं. जाने माने विशेषज्ञ डॉ. जेपी शर्मा ने कहा है कि सरकारों को यह साफ करना चाहिए कि अरावली के नियम में बदलाव के बावजूद कोई नया खनन पट्टा जारी नहीं किया जाएगा. उन्होंने सलाह दी है कि पहले दिए गए खनन पट्टों की समीक्षा कर ज्यादातर को रद्द कर देना चाहिए.