Gardada Dam News: राजस्थान के बूंदी जिले का सबसे बड़ा गरडदा बांध का निर्माण पूरा हो गया है. यह देश का पहला बांध बना है जिसकी नींव फिल्म पर टिकी है. इस बांध की नीव 4.4 किलोमीटर की है. जहां यह तीन परत वाली फिल्म लगाई है. फिल्म लगाने के पीछे मकसद है की पिछली बार पानी के दबाव और पठारी इलाके मिट्टी से रिसाव होने से बांध टूट गया था. अब दोबारा नहीं टूटे इस लिए कपड़े नुमा फिल्म लगाई जा रही है. ताकि बाँध पर दबाव नहीं पड़े. जिले मे लगातार हो रही प्री मानसून की हुई बारिश के बाद बांध में पानी आना शुरू हो गया है. इस मानसून की बारिश में बांध को 60 फिट भरा जायेगा. फिर धीरे धीरे इसकी केपिसिटी बड़ा दी जाएगी. 


पानी रोकने से नहीं है कोई खतरा
गरडदा मध्यम सिंचाई परियोजना के अभियंता नागेंद्र कुमार ने बताया की परियोजना की लागत 400 करोड़ के आस पास है. निर्माण शुरू हुआ तब इस पर मात्र 53 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत हुआ था. लेकिन बांध निर्माण में शुरुआत से ही रुकावटें आती गई. दो बार सरकार बदल जाने से बजट अटक गया. इसी का परिणाम माने कि इस सिंचाई परियोजना को पूरा होने में 12 वर्ष से अधिक का वक्त लग गया. साथ ही इसकी लागत भी तीन गुना से अधिक हो गई. विभाग ने पहले वर्ष में बांध को 60 फीट तक भरने का निर्णय किया. हालांकि इसकी क्षमता 90 फिट से अधिक बताई जा रही है. पानी रोकने से कोई खतरा नहीं है.


निरीक्षण कर व्यवस्था पूरी कर ली गयी है. उन्होंने ने बताया की इस बांध में मिट्टी बिछाने के बाद कपड़े की फिल्म का उपयोग किया है. पहली बार किसी बांध के निर्माण में इस फिल्म का उपयोग किया गया है. जिसे जीओ टेक्सटाइल्स के नाम से जाना जाता है. यह पानी को छानने का काम करती है. बांध में पानी के दबाव के दौरान भी दीवारें सुरक्षित रहेंगी. बांध निर्माण कार्य में इस बार नया प्रयोग किया है. नई डिजाइन के अनुसार बांध के दोनों सिरे पर स्लेप बनाई गई है. 


गरड़दा मध्यम सिंचाई परियोजना की खास बातें 
गरड़दा मध्यम सिंचाई परियोजना 12 साल बाद बनकर पूरा हुआ है. इस बांध के बनने से क्षेत्र की करीब 9161 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी. जबकि 4355 कृषक परिवार लाभान्वित होंगे. इस बांध का निर्माण वर्ष 2003 शुरू हुआ था जो अब 2022 में पूरा हुआ है. गरड़दा बांध की 44.38 मिलियन घन मीटर भराव क्षमता होगी जिससे करीब 44 गांवों को पानी मिलेगा. साथ ही 53 किमी लंबाई दोनों नहरों की होगी. नहरी तंत्र के लिए विभाग ने राज्य सरकार को 488 करोड़ का स्टीमेट बनाकर भिजवाया है. इस योजना के तहत पानी की सप्लाई भी गावों में की जाएगी. बांध से पिने के पानी के लिए 1 मिलियन घन मीटर दिया जायेगा. 


44 गांवों की 60 हजार बीघा भूमि को सिंचाई सुविधा 
एबीपी न्यूज़ से बातचीत करते हुए अभियंता नागेंद्र कुमार ने कहा है कि बूंदी जिले का सबसे बड़ा पानी स्त्रोत गरडदा बांध है. हर ग्रामीणों को स्वच्छ पानी पिने को मिले इसको लेकर हम प्रयास कर रहे है. गरड़दा के बांध के निर्माण से क्षेत्र के 44 गांवों की 60 हजार बीघा भूमि को सिंचाई सुविधा मिलेगी, वहीं पेयजल के लिए भी पानी सुलभ हो सकेगा. इस दिशा में विशेष प्रयास किए जा रहा है. गरड़दा बांध निर्माण भी इस लक्ष्यों को हासिल करने में अहम साबित होगा.


उन्होंने कहा कि किसानों की समृद्धि एवं खुशहाली के लिए जिले में विभिन्न बांधों के कार्य हाथ में लिए गए हैं. इनके माध्यम से किसानों को सिंचाई बेहतर सुविधा तथा ग्रामीणों को पेयजल मुहैया कराया जाएगा. वर्ष 2017 में बांध का निर्माण कार्य वापस शुरू हुआ. तब कोटा की एक कम्पनी ने बांध के निर्माण कार्य को हाथ में लिया. लेकिन अब प्रदेश की सरकार ने ठेकेदार के 60 करोड़ रुपए रोक लिए. बढ़े हुए कार्य का बजट अभी तक मंजूर नहीं किया. इसी का परिणाम बताया कि काम की गति धीमी हो गई.


वर्ष 2010 में अचानक टूट गया था बांध 
गौरतलब है कि वर्ष 2003 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बांध का भूमि पूजन किया था. बांध निर्माण कार्य पूरा होने पर वर्ष 2010 के मानसून सत्र में इसमें पानी भरना शुरू हुआ. एक ही रात की बारिश में बांध में करीब 60 फीट पानी भरा. लेकिन 15 अगस्त 2010 को बांध का कच्ची मिट्टी का टीला ढह गया था. बांध का करीब 200 फीट ऊंचा एवं 340 फीट चौड़ा हिस्सा पानी के साथ बह गया था. उस समय बांध लबालब था और बांध टूटने से जिले के कई गांव जलमग्न हो गए थे. 


यह भी पढ़ें:


Rahul Gandhi का वीडियो शेयर करने के मामले में कांग्रेस एक्टिव, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ समेत कई नेताओं के खिलाफ FIR


Jodhpur News: जोधपुर में प्लॉट विवाद पर भिड़े दो पक्ष, घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश, पुलिस ने किया नाकाम