बीजेपी विधायक शंकर सिंह रावत की बेटी के फर्जी दिव्यांग सर्टिफ़िकेट से RAS बनने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. दरअसल, RAS भर्ती 2024 में विधायक शंकर सिंह रावत की बेटी तहसीलदार बनी थीं, जिसके बाद SOG को मिली शिकायत के आधार पर जांच की गई. जांच में मेडिकल बोर्ड ने उन्हें मेडिकल के लिए बुलाया, जिसमें वह नहीं पहुंचीं.
14 अक्टूबर को हुए मेडिकल में उनकी दिव्यांगता केवल 8% पाई गई. नियमों के तहत 40 प्रतिशत दिव्यांगता होने पर ही सरकारी नौकरी में आरक्षण का लाभ दिया जाता है. ऐसे में फर्जी सर्टिफ़िकेट के आधार पर RAS बनीं विधायक की बेटी सहित अन्य लोगों के प्रमाण पत्रों की भी पुलिस जांच कर रही है.
SOG ने शुरू की जांच, मेडिकल रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
बीजेपी विधायक शंकरसिंह रावत की बेटी कंचन ने RAS भर्ती में दिव्यांगता प्रमाण पत्र लगाया था, जिसके आधार पर उनका चयन हुआ. उन्होंने जो दस्तावेज़ जमा कराए, उसमें दिव्यांगता 40% से अधिक बताई गई थी. मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत मिलने के बाद एसओजी ने परिवाद दर्ज किया. कंचन को मेडिकल के लिए 3 सितंबर को बुलाया गया था, लेकिन वे नहीं पहुंचीं.
14 अक्टूबर को SMS मेडिकल बोर्ड की जांच में सामने आया कि कंचन को एक कान में कोई परेशानी नहीं है, जबकि दूसरे कान में हल्की सुनने की दिक्कत है, जो केवल 8% विकलांगता की श्रेणी में आती है.
सरकार ने बढ़ाई सख्ती
फर्जी दिव्यांग सर्टिफ़िकेट मामले के बाद राज्य सरकार ने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लिया है. सरकार अब कई विभागों में नौकरी कर रहे ऐसे कर्मचारियों की जांच कर रही है, जिन्होंने संभवतः फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल की है.
दो दर्जन विभागों में शुरू हुई जांच
सूत्रों के अनुसार, करीब दो दर्जन सरकारी विभागों में कर्मचारियों के दस्तावेज़ों की जांच शुरू की गई है. इनमें उन अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की पुष्टि की जा रही है, जिन्होंने भर्ती प्रक्रिया के दौरान दिव्यांगता का लाभ लिया था. जांच पूरी होने के बाद फर्जी दस्तावेज़ देने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.