कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर गुरुवार (18 दिसंबर) को गुलाबी नगर जयपुर पहुंचे, जहां उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी बात रखी. वहीं उन्होंने नीतीश कुमार द्वारा हिजाब खींचने के विवाद पर कहा कि हो सकता है फोटो ठीक से आने के लिए उन्होंने ऐसा किया हो लेकिन उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था.
देवकी नंदन ठाकुर ने आगे कहा, "मुझे नहीं पता कि उनका क्या इंटेंशन था लेकिन फिर भी उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. किसी स्त्री का घूंघट नहीं उठा सकते या नकाब नहीं हटा सकते.उस बच्ची को कष्ट हुआ होगा, इसलिए उसने बिहार छोड़ने की बात कही है."
'किसी नए व्यक्ति को मौका दें'
उन्होने आगे कहा, "इतने बड़े पद पर बैठे लोगों से तो यह बिल्कुल उम्मीद नहीं की जा सकती. नीतीश कुमार ने 20 साल राज कर लिया, अब इस पद पर बैठे रहना ठीक नहीं है. परिवार व पार्टी से ही किसी नए व्यक्ति को मौका दे सकते हैं." देवकी नंदन ठाकुर ने ये भी कहा, "नीतीश कुमार की उम्र बहुत हो चुकी है, उन्हें अब किसी यूथ को मौका देना चाहिए और उन्हें सीएम बनाना चाहिए. उन्हें अब युवाओं को मौका देना चाहिए उन्हें आगे बढ़ना चाहिए."
'नो तिलक नो एंट्री'
कथा में नो तिलक नो एंट्री, नीतीश कुमार द्वारा हिजाब हटाए जाने, संघ के दत्तात्रेय होसबोले के बयान और मोबाइल व रील का इस्तेमाल नहीं किए जाने पर बातचीत, नीतीश कुमार को दी सीएम पद छोड़कर किसी युवा को मौका देने की नसीहत
इसके अलावा उन्होंने कथा में नो तिलक - नो एंट्री का स्लोगन दिए जाने पर कहा कि हमारी कथा का स्लोगन है, नो तिलक, नो एंट्री भगवान राम, शिव और कृष्ण तिलक लगाते हैं. इतना ही नहीं राक्षसी स्वभाव वाले सनातनी भी तिलक लगाते थे. फिर इसमें किसी को क्या एतराज हो सकता है. बच्चों को सिखाने और संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए नो तिलक नो एंट्री का नारा दिया गया है इससे बच्चे और श्रेष्ठ व निपुण बनते हैं.
'हमारी कथाओं में न आएं दूसरे धर्म के लोग'
उन्होंने कहा, "दूसरे धर्म के लोगों को हमारी कथाओं में नहीं आना चाहिए. मैं चाहता भी नहीं कि वह हमारे कार्यक्रमों में आए. जिनकी राम और कृष्ण में आस्था नहीं, वह क्यों यहां आएंगे. उन्हें यहां आना ही नहीं चाहिए. वह इसलिए आते हैं, क्योंकि उन्हें निशाना बनाना है. हमारे लिए हमारे धर्म की हर बच्ची सीता और पार्वती समान है."
ठाकुर ने ये भी कहा, "ऐसे में सनातनी बच्चियों की रक्षा करना, उन्हें सुरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है. हमारी बहन बेटियों पर नजर डालने वालों को यहां क्यों आना है. तिलक भारतीय संस्कृति की एक अलग पहचान है. तिलक लगाने में किसी तरह की कोई राजनीति नहीं है.तिलक लगाना मेरे लिए सौभाग्य की बात है."