Continues below advertisement

राजस्थान के उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा को शनिवार (13 दिसंबर) को भीलवाड़ा सर्किट हाउस में स्थानीय पत्रकारों के तीखे सवालों का सामना करना पड़ा, जिससे माहौल अचानक गरमा गया और सियासी अखाड़े में तब्दील हो गया. 'डाक डालने' संबंधी पत्रकारों के तंज ने पूरे घटनाक्रम को नया मोड़ दे दिया.

जयपुर से राजसमंद जाते समय डिप्टी सीएम बैरवा ने सर्किट हाउस में संक्षिप्त ठहराव किया. उनकी शुरुआती कोशिश सरकारी उपलब्धियों की प्रस्तुति तक ही सीमित रहने की थी. उन्होंने सरकार के दो साल के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाईं, लेकिन जैसे ही पत्रकारों को सवाल पूछने का मौका मिला, डिप्टी सीएम ने 'जल्दबाजी' का हवाला देते हुए रवाना होने की कोशिश की.

Continues below advertisement

'डाक डालने' के तंज से भड़का माहौल

डिप्टी सीएम के शीघ्र निकलने की कोशिश पर पत्रकारों का सब्र टूट गया. एक पत्रकार के तीखे सवाल, “क्या आप यहां सिर्फ डाक डालने आए हैं?” ने माहौल को तल्ख बना दिया. पत्रकारों ने स्पष्ट कहा कि उन्होंने डिप्टी सीएम की बात पूरी सुनी है, अब उन्हें भी पत्रकारों के सवाल सुनने होंगे.

माहौल की नज़ाकत को भांपते हुए सांसद दामोदर अग्रवाल और विधायक अशोक कोठारी ने हस्तक्षेप कर पत्रकारों को शांत कराया. हालांकि, बढ़ते दबाव और विवाद को देखते हुए डिप्टी सीएम बैरवा ने कदम पीछे खींच लिए और लगभग सात मिनट तक पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए. सवालों के संतोषजनक जवाब मिलने के बाद ही सर्किट हाउस में सियासी तनाव धीरे-धीरे सामान्य हो पाया. इस पूरे विवाद का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.

विकास के दावे और औद्योगिक पलायन का संकट

डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि भीलवाड़ा का विकास राजस्थान के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में सरकार जिले के समग्र विकास के लिए निरंतर प्रयासरत है.

औद्योगिक विकास

डॉ. बैरवा ने 'राइजिंग राजस्थान' अभियान का हवाला देते हुए बताया कि भीलवाड़ा को एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. इस योजना के तहत जिले में 568 एमओयू हुए हैं, जिनमें 18,802.98 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं. दावा है कि इससे लगभग 1.54 लाख रोजगार के अवसर सृजित होंगे, जिनमें से 58 इकाइयों ने उत्पादन भी शुरू कर दिया है.

बिजली का मुद्दा

हालांकि, राज्य के औद्योगिक परिदृश्य पर बिजली की दरों में लगातार हो रही बढ़ोतरी का सीधा असर पड़ा है. करीब 3,000 करोड़ रुपये के नए उद्योग बिजली महंगी होने के कारण पड़ोसी राज्यों की ओर पलायन कर चुके हैं, जो सरकार की औद्योगिक नीति और ऊर्जा लागत पर गंभीर सवाल खड़े करता है.

बिजली आपूर्ति लक्ष्य

सरकार का दावा है कि बीते दो वर्षों में बिजली उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. अधिकारियों के अनुसार, 2027 तक राज्य के सभी जिलों को दिन में निर्बाध बिजली आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए सौर ऊर्जा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कार्य किया जा रहा है.

भ्रष्टाचार और प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल

एक ओर जहां सरकार विकास के दावे कर रही है, वहीं भीलवाड़ा में कथित गड़बड़ी और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों को लेकर न्यायालय में दायर याचिकाएं विचाराधीन हैं.

UIT अधिकारियों का विवादित जवाब

इस मामले में यूआईटी अधिकारियों द्वारा अदालत में देरी का ठीकरा "असामाजिक तत्वों" पर फोड़ते हुए भीलवाड़ा की जनता को ही जिम्मेदार ठहराया गया, जिससे व्यापक नाराजगी सामने आई.

EWS आवंटन पर सवाल

10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस (लॉटरी) आवंटन को लेकर भी सवाल उठे हैं, जो प्रशासनिक कार्यशैली और सरकार की मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं. सरकार ने स्पष्ट किया है कि नीति और नीयत में कोई अंतर नहीं है, और किसी भी स्तर पर गड़बड़ी सामने आने पर निष्पक्ष जांच कराई जाएगी. एसीबी और दिव्या मित्तल प्रकरणों पर सरकार का कहना है कि जांच पूरी होने से पहले किसी को दोषी या निर्दोष ठहराना संभव नहीं है. सरकार का दावा है कि वह आरोपों से नहीं, बल्कि काम से जवाब देने में विश्वास रखती है.

इस प्रेस ब्रीफिंग के दौरान सांसद दामोदर अग्रवाल, विधायक अशोक कोठारी, शाहपुरा विधानसभा विधायक लाल राम बैरवा और भाजपा जिलाध्यक्ष प्रशांत मेवाड़ा भी मौजूद रहे.