Rajasthan News: राजस्थान के भरतपुर जिले में नगर विधानसभा इलाके के गांव पसोपा में विगत 20 जुलाई को खनन कार्य बंद करने की मांग को लेकर धरना दे रहे संतों के बीच एक संत विजयदास के आत्मदाह का प्रयास किया था. बाबा विजय दास को भरतपुर के जिला आरबीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनका शरीर 80 प्रतिशत जलने के कारण उन्हें जयपुर के एसएमएस अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया था. जयपुर से बाबा विजयदास को अच्छी चिकित्सा सुविधा और इलाज के लिए दिल्ली रेफर कर दिया गया था. बाबा विजयदास ने आज दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में सुबह लगभग 2 बजे अंतिम सांस ली. वहीं अब उनका अंतिम संस्कार मथुरा के बरसाना में होगा. इसमें राजस्थान के मंत्री बीडी कल्ला शामिल हो सकते हैं.


सफदरजंग अस्पताल में ली अंतिम सांस
राजस्थान के भरतपुर जिले में नगर विधानसभा के गांव पसोपा में खनन कार्यों को बंद करने की मांग को लेकर साधू-संतों का 550 दिनों से धरना चल रहा था. आंदोलन के चलते विगत दिन साधु विजय दास ने आत्मदाह करने की कोशिश की थी. उन्होंने खुद पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा ली थी. आत्मदाह करने की कोशिश में उनका लगभग 85 प्रतिशत शरीर झुलस गया था. भरतपुर के आरबीएम अस्पताल से रेफर करने के बाद बाबा विजय दास को एसएमएस अस्पताल में भर्ती किया गया था जहां से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर सड़क मार्ग से उन्हें दिल्ली इलाज के लिए भेजा गया. उनके साथ स्पेशल डॉक्टरों की टीम भी गई थी लेकिन उनको बचाया नहीं जा सका. आज सुबह लगभग 2 बजे बाबा विजय दास ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में अंतिम सांस ली.


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कहां के रहने वाले थे बाबा विजय दास 
बाबा विजय दास हरियाणा के फरीदाबाद जिले के बडाला गांव के रहने वाले थे. उनका नाम मधुसूदन शर्मा था. साधू बनने के बाद उनका नाम बाबा विजयदास रखा गया. मधुसूदन शर्मा एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करते थे. उनका एक बेटा था और बेटे की एक बेटी भी है. एक हादसे में मधुसूदन के बेटे और बहू की मौत हो गई थी. बेटे और बहू की मौत के बाद पोती ही रह गई थी जिसकी उम्र उस समय 3 वर्ष थी. इस घटना ने मधुसूदन को इस कदर तोड़ दिया की वह 12 वर्ष पहले अपनी पोती को लेकर बरसाना के मान मंदिर में आ गए.


बनाया गया पशुपति नाथ मंदिर का महंत
मधुसूदन अपनी पोती दुर्गा का लालन-पालन करने लगे और उसका गुरुकुल में एडमिशन करा दिया जहां वह पढ़ाई करने लगी. मधुसूदन संत रमेश बाबा के संपर्क में आए और उन्हें विधि के अनुसार साधू-संतों में शामिल कर लिया गया. इसके बाद उन्हें नया नाम मिला बाबा विजयदास मिला. वे मधुसूदन शर्मा से बाबा विजय दास बन गये. बाबा विजय दास ने खनन को रोकने के लिए साल 2017 से आंदोलन में भाग लिया. उन्हें डेढ़ साल पहले पसोपा गांव के पशुपति नाथ मंदिर का महंत बनाया गया. उनके पास मंदिर की पूरी जिम्मेदारी थी.


क्या कहा जिला कलेक्टर ने 
जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने बताया कि, यह दुखद सूचना सुबह प्राप्त हुई कि बाबा विजयदास हमारे बीच नहीं रहे. उनकी अंतिम क्रिया संत परम्परा के अनुसार वैष्णव रीती के अनुसार होती है. अंतिम संस्कार मथुरा के बरसाना स्थित मान मंदिर की गौशाला में होगा जिसकी तैयारी साधू-संतो द्वारा की जा रही है और प्रशासन ने भी पूरी तैयारी कर ली है. पसोपा गांव से भी काफी लोग बाबा के अन्तिम दर्शन के लिये जाना चाहते थे. उनके लिए भी व्यवस्थाएं की गईं हैं ताकि वे सुविधापूर्वक जायें. इसके अलावा क्षेत्र में शांति है फिर भी हम पूरी तरह से चौकन्ने हैं क्योंकि सम्भव है कुछ तत्व इसको गलत रूप दें. यह स्पष्ट है कि समझौते से दोनों पक्ष पूरी तरह से सहमत थे इनके बाद ही घोषणा करने के बाद धरना हटाया गया था. उसके साथ ही राज्य सरकार ने पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह को भेजा था. सूचना मिली है कि मंत्री बी. डी. कल्ला बाबा के अन्तिम क्रिया में शामिल होंगे.


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