राजस्थान कांग्रेस के लिहाज से एक बुधवार (8 अक्टूबर) को अच्छी तस्वीर सामने आई जहां पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक साथ नजर आए. यह मौका था राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और असम के राज्यपाल रहे शिवचरण माथुर एवं उनकी पत्नी दिवंगत सुशीला देवी माथुर की मूर्ति अनावरण का.
लेकिन कहते हैं तस्वीरों के पीछे की कहानी कुछ और होती है और "राजनीति में जो होता है वह दिखता नहीं और जो दिखता है वह होता नहीं". आज भीलवाड़ा में मंच पर जो हुआ वह समझने लायक है आखिर नेताओं के बयान के मायने किसी और इशारा कर रहे हैं.
दरअसल, बुधवार (8 अक्टूबर) को भीलवाड़ा में मूर्ति अनावरण कार्यक्रम के दौरान मंच पर सचिन पायलट सहित पायलट गुट के सांसद मुरारी लाल मीणा, सांसद बृजेंद्र ओला, पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी सहित कई नेता मौजूद थे. इसी दौरान सांसद बृजेंद्र ओला मंच से बोले, शिवचरण माथुर के समय में ही कांग्रेस सरकार रिपीट हुई थी उसके बाद आज तक कांग्रेस कभी रिपीट नहीं हो पाई.
'शिवचरण माथुर ने 25 सीटें हारने के बाद दिया था इस्तीफा'
ओला ने कहा वर्ष 1989 में राजस्थान की 25 की 25 सीटे कांग्रेस हार गई थी. इस हार के बाद नैतिकता के आधार पर शिवचरण माथुर ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. मंच पर उस दौरान सचिन पायलट भी मौजूद थे.
बता दें सचिन पायलट कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे, उस दौरान वर्ष 2014 में कांग्रेस लोकसभा की 25 की 25 सीटे हारी थी, यही नहीं वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सचिन पायलट कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे उस चुनाव में भी कांग्रेस को लोकसभा की 25 सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा था.
'नेताओं में अब नैतिकता नहीं बची'
सांसद बृजेंद्र ओला के इस बयान से सियासी हलकों में चर्चा शुरू गई है. क्योंकि ओला सचिन पायलट खेमे के माने जाते हैं. वहीं इसी बात को आगे बढ़ते हुए सांसद मुरारीलाल मीणा भी बोलते हुए दिखाई दिए. उन्होंने कहा कि बृजेंद्र ओला ने सही कहा है आजकल नेताओं में नैतिकता नहीं बची है. कितने भी बड़ी बात हो जांए वह कुर्सी नहीं छोड़ते.
2014 और 2019 में सभी लोकसभा सीटें हारी थी कांग्रेस
दोनों सांसद कि कहीं बात को सचिन पायलट के समय लोकसभा चुनाव में हुई करारी हार से जोड़कर देखा जा रहा है, क्योंकि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद भी सचिन पायलट प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने हुए थे.
सियासी चर्चा शुरू
मंच से सांसद मुरारी लाल मीणा और सांसद बृजेंद्र ओला के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भी चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर दोनों नेता का इशारा किस ओर था. कुछ इसे अशोक गहलोत से जोड़कर देख रहे हैं, तो कुछ सचिन पायलट के समय लोकसभा चुनाव में मिली हार से जोड़कर देख रहे हैं. ऐसे में एक बार फिर सचिन पायलट खेमा चर्चा में है.