Alwar News: अलवर जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र के लालावंड़ी गांव में 20-21 जुलाई 2018 की रात को गोतस्करी के शक में रकबर उर्फ अकबर की पिटाई (Rakbar Khan Lynching Case) के बाद पुलिस कस्टडी में मौत हो गई थी. इस मामले में पुलिस ने पांच आरोपियो के खिलाफ मामला दर्ज कर चालान पेश किया था. इस मामले में अलवर एडीजे संख्या एक गुरुवार को फैसला सुनाया. अदालत ने इस मामले के पांच में से चार आरोपियो को दोषी माना और एक आरोपी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. फैसला आने के बाद दोषी ठहराए गए चारों आरोपियो को जेल भेज दिया गया. इस दौरान उनके समर्थकों ने कोर्ट परिसर में 'जय श्रीराम' और 'गहलोत सरकार मुर्दाबाद' के नारे लगाए.वहीं फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने कहा कि राज्य सरकार फैसले का रिव्यू करवाएगी.


फैसला आने के बाद गूंजा 'जय श्रीराम' का नारा


रकबर कि मौत मामले में एडीजे संख्या एक अलवर ने 25 मई को फैसला सुनाने की तारीख मुकर्रर की थी. आज कोर्ट परिसर सुबह से ही छावनी में तब्दील नजर आया. एएसपी मुख्यालय सरिता सिंह ,एएसपी ग्रामीण सुरेश खींची, कोतवाली , शिवाजीपार्क और एनईबी थाना अधिकारी मय जाब्ते के मौजूद रहे. वही क्यूआरटी के जवान भी मुस्तैद नजर आए. न्यायधीश सुनील गोयल ने दोपहर 12 बजे के बाद फैसला सुनाया. 



अदालत ने इस मामले के पांच में से चार आरोपियो परमजीत ,धर्मेंद्र, नरेश और विजय को दोषी मानते हुए सात-सात साल की सजा सुनाई है. इस मामले के पांचवें आरोपी नवल को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है. फैसला सुनाए जाने के बाद कोर्ट परिसर में मौजूद हिंदूवादी संगठनों ने 'जय वीर बजरंगी' और 'जय श्रीराम' के नारे लगाए.इन लोगों ने अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ भी नारेबाजी की. 


किस समय का है यह मामला


यह मामला 2018 जुलाई का है. रामगढ़ के लालावंड़ी गांव में रात करीब एक बजे रकबर अपने एक साथी असलम के साथ पैदल एक गाय को लेकर जा रहा था. इस दौरान कुछ गोरक्षकों ने उन्हें गोतस्कर समझ कर उसके साथ मारपीट की. इस दौरान असलम अपनी जान बचा कर भाग निकला.वहीं घटना की सूचना पाकर रामगढ़ थाना पुलिस घायल रकबर उर्फ अकबर को अपने साथ ले गई. इस दौरान पुलिस कस्टडी में रकबर की मौत हो गई थी. 


पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपियो के खिलाफ मामला दर्ज कराया था.न्यायधीश सुनील गोयल ने अपने फैसले में एक आरोपी नवल किशोर को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. उन्होंने मामले के चार अन्य आरोपियों परमजीत जट सिख , धर्मेंद्र यादव ,नरेश और विजय को 304 फर्स्ट औ 341 में दोषी मानते हुए सात-सात साल की सजा और 10-10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.


फैसले पर क्या कहा पीड़ित पक्ष ने


इस मामले में विशिष्ट लोक अभियोजक अशोक शर्मा ने बताया निर्णय की कॉपी आने के बाद फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने पर विचार किया जाएगा. वहीं पीड़ित पक्ष के शेर मोहम्मद और एडवोकेट अख्तर सहित अन्य लोग फैसले से संतुष्ट नजर नहीं आए. उनका कहना था कि इसमे जो धाराएं लगाई गई हैं, इसमे भी कम से कम दस साल से आजीवन कारावास तक का प्रावधान है. उनका कहना था कि आरोपियों के कृत्य को देखते हुए सजा कम है. उन्होंने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की बात कही. 


वहीं फैसला आने के बाद जयपुर में एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पत्रकारों से कहा कि आरोपियों की सजा के मामले में कोर्ट ने किन परिस्थियों में आरोपियों को महज सात साल की सजा सुनाई, इसका अध्ययन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जयपुर में हुए बम ब्लास्ट के मामले में राज्य सरकार ने पूरी संवेदनशीलता से काम किया था. ये बहुत बड़ा मसला था. 


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