Ajmer News: अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख और वंशानुगत सज्जादानशीन हजरत दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने गुरुवार (22 फरवरी) को कहा, "राजनीतिक दलों को मथुरा-काशी जैसे मसलों का समाधान अदालतों के बाहर ढूंढने का प्रयास करना चाहिए." उन्होंने कहा कि अगर कोई भी मसला आपसी सहमति से सुलझाया जाता है तो यह समुदायों का दिल और विश्वास जीतेगा. उन्होंने कहा कि मथुरा-काशी का मामला कोर्ट के बाहर सुलझाने से किसी भी पक्ष के अंदर कटुता नहीं रहेगी और मुल्क में अमन और शांति रहेगी.


हजरत दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा कि मुथरा काशी का मामला कोर्ट के बाहर हल करना दोनों पक्षों (हिंदू और मुसलमान) के लिए बेहतर रहेगा. इससे दोनों समुदायों के बीच अमन शांति और भाईचार बनी रहेगी. उन्होंने कहा अगर इसका फैसला कोर्ट करेगा, तो जिसके फेवर में फैसला आएगा वह खुश रहेगा और जिनके खिलाफ फैसला आएगा उनमें कटुता भर जाएगी. ऐसे में इसका फैसला कोर्ट से बाहर हल करने से देश शांति और अमन ओ अमान बनी रहेगी. उन्होंने कहा कि इस दौरान कहा कि अगर सियासत को धर्म से अलग कर दिया जाएगा, तो सियासत विधवा हो जाएगी और अगर धर्म को सियासत से अलग कर दिया जाएगा तो धर्म विधुर हो जाएगा.






'भारत विश्व शांति में निभा रहा अपनी भूमिका' 
अजमेर दरगाह के दीवान यहां अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन काउंसिल की राजस्थान इकाई द्वारा आयोजित 'पैगामे-ए-मोहब्बत हम सब का भारत' सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आज भारत वसुधैव कुटुंबकम की भावना अपनाकर विश्व में शांति बहाल करने में सकारात्मक भूमिका निभा रहा है. उन्होंने कहा, "आज भारत विश्व शांति में अपनी भूमिका निभा रहा है तो हम अपने देश के आंतरिक मसलों का अदालतों के बाहर शांति पूर्वक समाधान निकालने में सक्षम क्यों नहीं? हम सक्षम हैं। बस एक मजबूत पहल की जरूरत है."


'मुसलमानों को किया गया गुमराह'
एक बयान के अनुसार उन्होंने काशी और मथुरा जैसे मसलों का हल अदालतों के बाहर मिल-जुल कर निकालने का प्रयास करने की अपील की. इसके दौरान सीएए पर अपनी राय रखते हुए दरगाह प्रमुख ने कहा, "आज हम एक बात और साफ करना चाहते हैं कि पिछले कुछ साल में मुसलमानों को गुमराह किया गया और डराया गया है." हजरत दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने आगे कहा, "सीएए कानून से भारत के मुसलमानों की नागरिकता छीनने की कोशिश हो रही है, जबकि वास्तविकता कुछ और है."


'सीएए का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना देना नहीं'
सीएए कानून को लेकर हजरत दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने आगे कहा कि अधिनियम के प्रावधानों के विस्तृत विश्लेषण के बाद, हमने पाया कि इस कानून का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है और यह उन पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा, बल्कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश में पीड़ित और सताए हुए अल्पसंख्यक प्रवासियों को फायदा मिलेगा जो भारतीय नागरिकता चाहते हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं छीनी जा सकती क्योंकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.


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