Kota News: राजस्था के कोटा में एसीबी की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए आय से अधिक संपत्ति मामले में एक सहायक अभियंता के पास भारी मात्रा में सोना, चांदी और भूखंड के दस्तावेज बरामद किए. एसीबी मुख्यालय के निर्देश पर इंटेलिजेंस की इकाई की टीम ने बुधवार (29 नवंबर) को राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड में तैनात सहायक अभियंता कमल मीणा (हाल प्रतिनियुक्ति नगर विकास न्यास,कोटा) के तीन अलग-अलग ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अतिरिक्त महानिदेशक हेमन्त प्रियदर्शी ने बताया कि "ब्यूरो मुख्यालय द्वारा मिली सूचना के आधार पर राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड के सहायक अभियंता कमल मीणा (हाल डेपुटेशन नगर विकास न्यास, कोटा) के विरुद्ध शिकायत का सत्यापन करने के लिए एक टीम गठित की गई. 


जिसके लिए एसआई डब्ल्यू जयपुर इकाई और इंटेलिजेंस यूनिट के सहयोग से ललित शर्मा विशेष अनुसंधान इकाई जयपुर के नेतृत्व में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रेरणा शेखावत, एसीबी कोटा ग्रामीण और अन्य टीमों की संयुक्त कार्रवाई में सहयाक अभियंता के तीन विभिन्न ठिकानों पर तलाशी की कार्रवाई की गई. अतिरिक्त महानिदेशक हेमन्त प्रियदर्शी के मुताबिक, ब्यूरो की प्रथम सूचना रिपोर्ट के प्राथमिक आकलन और अब तक मिले दस्तावेजों के अनुसार सहायक अभियंता कमल मीणा और उसकी पत्नी पर अनेक परिसम्पत्तियां अर्जित करने की सूचना है, जो उनकी वैध आय से आनुपातिक रूप से कहीं अधिक है. आरोपी सहायक अभियंता द्वारा अपनी अवैध आय को कोटा, जयपुर, केशोरायपाटन, बूंदी में आवासीय, व्यावसायिक भूखण्डों, फ्लैटों और म्यूचअल फण्ड, इन्श्योरेन्स आदि में निवेश की सूचना मिली है.


आरोपी के ठिकानों से कीमती चीजें बरामद
आरोपी और उसके परिजनों के नाम से विभिन्न स्थानों पर स्थित करीब 29 आवासीय एवं कृषि भूखण्डों के दस्तावेज बरामद हुए हैं. जिनकी बाजार में कीमत करोड़ों रुपयों में आंकी जा रही है. आरोपी के घर और बैंक लॉकरों से भी करीब 37 तोला स्वर्ण आभूषण, 1 किलो 500 ग्राम चांदी और नगदी बरामद हुई है. अतिरिक्त महानिदेशक ने बताया कि एसीबी उप महानिरीक्षक डॉ. रवि के निर्देशन में एसीबी की विभिन्न टीमों द्वारा आरोपी के ठिकानों पर लगातार तलाशी अभियान जारी है, जिसमें और अधिक परिसम्पत्तियों का पता चलने की संभावाना है. आरोपी के विरूद्ध आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने का प्रकरण दर्ज किया गया और मामले में अग्रिम जांच की कार्रवाई की जा रही है.  


मृतक इंजीनियर के बेटे ने लगाए थे आरोप
रिवर फ्रंट पर बनाए गए घंटे को लेकर भी यूआईटी पर आरोप लगाए गए थे. मृतक इंजीनियर देवेन्द्र आर्य के बेटे धनंजय आर्य ने आरोप लगाया था कि मोल्ड बॉक्स से घंटी निकालते समय हादसा हुआ था. जिसमें कांट्रेक्टर इंजीनियर देवेंद्र आर्य और उनके सहयोगी छोटू की मौत हो गई थी. इस मामले में यूआईटी अधिकारी लगातार घंटे को जल्दी खोलने के लिए दबाव बना रही थे. धनंजय का आरोप था कि अधिकारी चुनाव से पहले घंटी खोलने का दबाव बना रहे थे. 


'इंजीनियर की मौत सिर्फ एक हादसा'
हालांकि एक्सईएन कमल मीणा ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि प्रेशर बनाने की बात झूठी है. कांट्रेक्ट के अनुसार साल 2022 में ही काम पूरा होना था, लेकिन देवेंद्र आर्य ने काम में देरी की. कुछ बॉक्स दिवाली के पहले ही हटा दिए गए थे. बाकी बॉक्स दिवाली के बाद हटाने को कहा था. उन्होंने इंजीनियर देवेंद्र आर्य और उनकी सहयोगी के मौत के लेकर कहा कि यह केवल एक हादसा था.


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