आम आदमी पार्टी (AAP) ने बेशक तरन तारन विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल की है, लेकिन इन चुनाव नतीजों के बाद राज्य की सियासत में शिरोमणि अकाली दल (SAD) एक बार फिर चर्चा के केंद्र में आ गया है. 'आप' प्रत्याशी हरमीत सिंह संधू को 42,649 वोट मिले, जबकि अकाली दल की सुखविंदर कौर 30,558 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं.
राज्य की राजनीति में लगभग हाशिए पर चला गया शिरोमणि अकाली दल इस चुनाव में दूसरा स्थान हासिल करके राजनीतिक पंडितों को चौंका गया है.
पंथक सीट पर अकाली दल की वापसी?
शिरोमणि अकाली दल ने इस उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि तरन तारन को एक 'पंथक' (सिख राजनीति का केंद्र) सीट माना जाता है. इस सीट पर अकाली दल का दूसरा स्थान हासिल करना यह संदेश देता है कि सिख वोटरों का एक तबका, जो पार्टी से दूर चला गया था, वह वापस लौट रहा है.
अमृतपाल समर्थक उम्मीदवार को पछाड़ा
अकाली दल के लिए यह प्रदर्शन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पार्टी ने यह स्थान 'शिरोमणि अकाली दल वारिस पंजाब दे' के समर्थित उम्मीदवार को पछाड़कर हासिल किया है.
जेल में बंद सांसद और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के समर्थन वाले आजाद उम्मीदवार मनदीप सिंह खालसा 19,620 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे. उल्लेखनीय है कि तरन तारन विधानसभा, खड़ूर साहिब लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जहाँ से अमृतपाल सिंह खुद सांसद हैं.
नेतृत्व को मिली मजबूती
इन नतीजों ने पार्टी के अंदर चल रहे घमासान के बीच अकाली दल नेतृत्व को मजबूत बनाया है. अकाली दल हमेशा खुद को 'मॉडरेट' (उदारवादी) सिखों का प्रतिनिधित्व देने वाली पार्टी बताता रहा है, और इन नतीजों से वह यह संदेश देने की कोशिश करेगा कि मॉडरेट सिखों का वोट बैंक दोबारा पार्टी से जुड़ रहा है.
बादल ने कहा- 'नैतिक हार'
हार के बावजूद इन चुनाव नतीजों से उत्साहित पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने उपचुनाव में पार्टी के प्रदर्शन को "सभी अकाली विरोधी, पंजाब विरोधी और पंथ विरोधी ताकतों के लिए नैतिक हार" करार दिया है.
वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार करणवीर सिंह 15,078 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे, जबकि भाजपा उम्मीदवार को 6,239 वोटों से संतोष करना पड़ा.