Chandigarh News: शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) ने जम्मू-कश्मीर के अल्पसंख्यक सिख समुदाय (Minority Sikh Community) को लेकर बयान दिया है. बुधवार को उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के अल्पसंख्यक सिख समुदाय के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए. विधानसभा में समुदाय के सदस्यों के लिए दो सीटें आरक्षित की जानी चाहिए, साथ ही कश्मीरी पंडितों के लिए दो सीटें प्रस्तावित की जानी चाहिए. शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष ने कहा, 'जम्मू और कश्मीर में रहने वाले सिखों के लिए सीटें आरक्षित की जानी चाहिए, जबकि अतिरिक्त सीटें उन लोगों के लिए आरक्षित की जानी चाहिए जिन्हें 1947 में सिखों सहित जम्मू-कश्मीर में स्थानांतरित होने के लिए मजबूर किया गया था.'


जम्मू-कश्मीर के सिख अल्पसंख्यक समुदाय की अनदेखी करना बड़ा अन्याय होगा- बादल
सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal ने कहा कि अन्य समुदायों के लिए सीटें आरक्षित करते समय जम्मू-कश्मीर के सिख अल्पसंख्यक समुदाय की अनदेखी करना समुदाय के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा. बयान में बादल ने कहा कि, 'जम्मू-कश्मीर में सिखों की आबादी कश्मीरी पंडितों के बराबर है और उन्हें भी 1947 के बाद से बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.  इसके अलावा, सिख समुदाय ने 1947 में प्रॉक्सी पाकिस्तान के आक्रमण के खिलाफ उठकर देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए संघर्ष किया है, इसके अलावा 200 लोगों ने जान भी गंवाई है, जिसमें चित्तीसिंहपुरा में एक ही नरसंहार में 36 लोग मारे गए थे.'


सिख समुदाय ने राष्ट्रवादी भावना को जीवित रखा
सिख समुदाय जम्मू-कश्मीर में ही रुका हुआ है, जबकि अन्य लोग पलायन कर गए हैं, इस बात पर बादल ने कहा, 'जिस समुदाय ने अत्याचारों से लड़ाई लड़ी और संकटग्रस्त राज्य में राष्ट्रवादी भावना को जीवित रखा, उसके साथ सौतेला व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए.' उन्होंने यह भी कहा कि अकेले जम्मू में बसे लगभग सभी तीन लाख सिख 1947 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के 'विस्थापित व्यक्ति' थे और उन्हें उनकी आबादी के अनुसार विधानसभा में उचित प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए.


उनके बलिदान को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए
सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि इन विस्थापित लोगों को, जिन्होंने पिछले सात दशकों में नरसंहारों का सामना करने के अलावा पाकिस्तान प्रायोजित आदिवासी हमलावरों से लड़ाई की और हजारों जिंदगियों का बलिदान दिया, उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.


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