पंजाब कांग्रेस नेता और कपूरथला से विधायक राणा गुरजीत सिंह ने सोमवार (6 अक्टूबर) को किसानों के सामने अपना वादा दोहराते हुए कहा कि वे किसानों की मक्के की फसल ₹2,400 प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदेंगे. उन्होंने कहा कि यह कदम किसानों को धान की जगह मक्का उगाने के लिए प्रेरित करेगा और राज्य में पानी की बचत और कृषि में विविधता लाने में मदद करेगा.

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'हर दाना खरीदा जाएगा एमएसपी पर'

राणा गुरजीत सिंह ने कहा, “मैंने किसानों को आश्वासन दिया था कि फसल की कटाई के समय मक्का की खरीद सुनिश्चित की जाएगी. आज मैं वह वादा पूरा करने आया हूं. हम किसानों द्वारा उगाए गए मक्के का हर दाना खरीदेंगे, और यह खरीद सरकारी मानकों के अनुसार ₹2,400 प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जाएगी.”

उन्होंने बताया कि उनके पास इस सीजन में मक्का उगाने वाले किसानों की सूची तैयार है और यह सूची राज्य सरकार से भी प्राप्त की गई है. उनकी टीम अब हर किसान से संपर्क करेगी ताकि फसल की खरीद सुचारू रूप से हो सके.

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एथनॉल उत्पादन के लिए खरीदी जाएगी मक्का

राणा गुरजीत सिंह ने बताया कि उनका परिवार चीनी उद्योग से जुड़ा है और वे मक्का को एथनॉल उत्पादन के लिए खरीदेंगे. उन्होंने कहा कि यह पहल किसानों को धान की तुलना में ज्यादा लाभकारी विकल्प देगी, क्योंकि मक्का का उपयोग एथनॉल, पशु और मुर्गी आहार में किया जाता है.

उन्होंने किसानों से अपील की कि वे पानी-खपत वाली धान की खेती छोड़कर मक्का जैसी फसलों की ओर बढ़ें.

उन्होंने कहा, “मैं किसानों और पंजाब सरकार दोनों को एक नई दिशा देने की कोशिश कर रहा हूं. हमें आगे देखना होगा. राज्य को ऐसी नेतृत्व की जरूरत है जो सिर्फ आज किसानों का समर्थन न करे बल्कि उनके भविष्य की भी रक्षा करे.”

धान की घटती पैदावार पर चिंता

विधायक ने पंजाब में धान की घटती पैदावार पर चिंता जताते हुए कहा कि इस सीजन में धान की लगभग 25% फसल ‘लूज स्मट’ बीमारी से प्रभावित हुई है. सिंह ने कहा, “किसानों को नुकसान होगा. हमें अपनी फसल प्रणाली पर फिर से विचार करना होगा.”

उन्होंने बताया कि उनके बेटे और सुल्तानपुर लोधी से निर्दलीय विधायक राणा इंदर प्रताप सिंह ने यह मुद्दा विधानसभा में उठाया है और उम्मीद जताई कि सरकार किसानों की मदद के लिए ठोस कदम उठाएगी.

'पंजाब रेगिस्तान बन जाएगा'

राणा गुरजीत सिंह ने पंजाब के गिरते भूजल स्तर पर गंभीर चिंता जताई. उन्होंने कहा, “केंद्रीय भूजल बोर्ड ने चेतावनी दी है कि अगर उपमृदा जल का पुनर्भरण नहीं हुआ तो पंजाब अगले 25 वर्षों में रेगिस्तान बन सकता है. कुछ इलाकों में जलस्तर 500 फीट तक गिर गया है और औसतन यह हर साल एक मीटर नीचे जा रहा है.”

उन्होंने सुझाव दिया कि हिमाचल प्रदेश और जम्मू के जलग्रहण क्षेत्रों से आने वाले बाढ़ के पानी का उपयोग भूजल पुनर्भरण के लिए किया जाए.

उन्होंने कहा, “बाढ़ के पानी को संसाधन के रूप में देखा जाना चाहिए. इन क्षेत्रों से मानसून के दौरान जो अतिरिक्त पानी बांधों में आता है, उसका उपयोग हमारी जमीन के नीचे के जल भंडार को भरने के लिए किया जाना चाहिए.”

राणा गुरजीत सिंह ने केंद्र और राज्य सरकार से देश-विदेश के शीर्ष वैज्ञानिकों की एक विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग की. उन्होंने कहा कि यह समिति सैटेलाइट मैपिंग और बाढ़ पैटर्न का विश्लेषण करे ताकि यह पता चल सके कि कौन-से क्षेत्र से कितना पानी आता है और किस तरह उसका प्रबंधन किया जा सकता है.

सिंह ने कहा, “समिति को विस्तृत रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए ताकि हम सुधारात्मक कदम उठा सकें.”

2019, 2023 और अब 2025 में बार-बार आई बाढ़ों का हवाला देते हुए सिंह ने कहा कि पंजाब को भविष्य की जलवायु-जनित आपदाओं के लिए तैयार रहना होगा.

उन्होंने कहा कि हालिया बाढ़ों ने दिखाया है कि हमें एक मजबूत प्रणाली की आवश्यकता है. चाहे रंजीत सागर डैम (RSD) से पानी छोड़ा जाना हो या जलग्रहण क्षेत्रों की ‘खड़ों’ से अचानक पानी का आना, इसके लिए एक सुनियोजित तंत्र होना चाहिए.