Punjab News:  पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab-Haryana High Court)  ने अपने एक अहम फैसले में कहा कि महज सुसाइड नोट में नाम आत्महत्या (Suicide) के लिए उकसाने  का दोषी साबित करने के लिए काफी नहीं है. जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर (Justice Sureshwar Thakur) ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को ऐसे मामलों में यह ध्यान रखने की जरूरत है कि आरोपी का मृतक से क्या संबंध है, आत्महत्या के लिए उकसाने का क्या कारण है और  क्या सुसाइड नोट (Suicide Note) में दिया गया कारण वास्तव में किसी को आत्महत्या के लिए उकसा सकता है.


उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में जांच अधिकारी को हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की सलाह के बाद ही आगे बढ़ना चाहिए. अपने इस फैसले के साथ ही हाईकोर्ट ने सोनीपत जिला अदालत के फैसले को खारिज कर दिया जिसमें आरोपी को पांच वर्ष का कठोर कारावास और पांच हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई थी.


क्या था मामला
एक मामले में मृतक के बेटे की ओर से पुलिस में शिकायत दी गई थी कि उसके पिता को धोखे से बैंक के पास  गिरवी रखी संपत्ति पर लोन गारंटर बनाया गया था, इसके चलते उसके पिता बेहद परेशान थे. इसी बात से परेशान होकर उसके पिता ने अपने दोस्त की दुकान पर जाकर जहर पी लिया और उनकी मौत हो गई. उनकी जेब से मिले सुसाइड नोट में मौत के लिए तीन लोगों को  जिम्मेदार  ठहराया गया था जिन्होंने उन्हें लोग गारंटर बनाया गया था.


मृतक की हैंडराइटिंग का होना चाहिए था मिलान
वहीं, हाईकोर्ट ने सजा के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में मृतक की हैंडराइटिंग का लोन के दस्तावेजों पर उसके हस्ताक्षर से मिलान किया जाना चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. केमिकल रिपोर्ट में कहा गया कि जहर खाने से पहले मृतक ने शराब पी रखी थी, ऐसे में यह कैसे कहा जा सकता है कि उसे आत्महत्या के लिए उकसाया गया था. हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने दो आरोपियों को इस मामले में  बरी कर दिया लेकिन एक आरोपी को सजा सुना दी.


यह भी पढ़ें:


सीएम अरविंद केजरीवाल का बड़ा एलान, कहा- जहां भी होगी AAP की सरकार, संविदा कर्मचारियों को करेंगे पक्का


Kinnar Pension Scheme: हरियाणा की इस योजना में किन्नरों को हर महीने मिलेंगे दो हजार रुपए, जानिए आवेदन की प्रकिया