Punjab-Haryana High Court: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने संपत्ति उत्तराधिकार अधिनियम में पुरुषों को वरीयता और लैंगिक भेदभाव पर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है. मोहाली के नेशनल लॉ स्कूल के छात्र दक्ष कादियान ने एडवोकेट सार्थक गुप्ता के माध्यम से याचिका दाखिल करते हुए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के प्रावधान को चुनौती दी है. 


इनको मिलती है प्रथमिकता
दरअसल जनहित याचिका के माध्यम से याची ने बताया कि प्रावधानों के अनुसार यदि घर के मुखिया की मौत हो जाती है और वह मरने से पहले कोई वसीयत नहीं छोड़ता है तो पुरुषों को प्राथमिकता दी जाती है. ऐसी स्थिति में पहली श्रेणी के उत्तराधिकारियों को प्राथमिकता दी जाती है इसमें बेटा, बेटी, पोता, पोती आदि शामिल हैं.


बुआ के स्थान पर चाचा को प्राथमिकता मिलती है
वहीं यदि पहली श्रेणी के उत्तराधिकारी मौजूद नहीं हो तो दूसरी श्रेणी को मौका दिया जाता है. इसमें पुरुष रिश्तेदार को ही प्राथमिकता दी जाती है. यानी बुआ के स्थान पर चाचा को प्राथमिकता मिलती है. वहीं तीसरी श्रेणी की बात करें तो बेटे की बेटी, बेटा या फिर बेटे की बेटी की बेटी में से वरीयता देने की बात आती है. तो इनमें से महिला को प्राथमिकता मिलती है. ऐसे में बेटे की बेटी की बेटी पूरी प्रॉपर्टी की हकदार होगी जबकि लड़के का हक नहीं होगा. 


केंद्र सरकार से मांगा जवाब
वहीं याची ने कहा कि इस प्रकार लिंग के आधार पर भेदभाव करना सीधे तौर पर संविधानिक प्रावधानों के खिलाफ है. साथ ही याची ने बताया कि जब करीबी रिश्तेदारों में प्रॉपर्टी के बंटवारे की बात आती है तो वहां पुरुष रिश्तेदारों को ही प्राथमिकता दी जाती है. महिलाओं से भेदभाव वहीं कुछ मामलों में इससे उलट है. ऐसे में प्रावधान ऐसा हो जो लिंग के आधार पर भेदभाव को समाप्त करने वाला हो. हाईकोर्ट ने याची का पक्ष सुनने के बाद केंद्र सरकार से जवाब तलब कर लिया है.



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